महाकुम्भ में 'बौद्ध-सनातनी एक थे, एक हैं, एक रहेंगे' का ​लिया गया संकल्प

महाकुम्भ में 'बौद्ध-सनातनी एक थे, एक हैं, एक रहेंगे' का ​लिया गया संकल्प

महाकुम्भ में 'बौद्ध-सनातनी एक थे, एक हैं, एक रहेंगे' का ​लिया गया संकल्प

बौद्ध महाकुम्भ में दुनिया को दिया सनातन-बौद्ध एकता का संदेशकुम्भ में बौद्ध भिक्षुओं का आगमन भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण

महाकुम्भनगर,07 फरवरी (हि.स.)। आस्था के महापर्व, महाकुम्भ में दुनिया के कोने-कोने से श्रद्धालु पवित्र संगम में आस्था का स्नान करने प्रयागराज आ रहे हैं। वहीं पहली बार दुनिया के 11 देशों के बौद्ध भिक्षु,भंते व लामा बड़ी संख्या में महाकुम्भ में पहुंचकर संगम में डुबकी लगाई।

बौद्ध महाकुम्भ में तीन महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर लगी मुहर

04 फरवरी को जब बौद्ध भिक्षु प्रयागराज के महाकुम्भ पहुंचे तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं बौद्ध भिक्षुओं पर पुष्पवर्षा कर उनका स्वागत व सम्मान किया और उपहार दिया। दूसरे दिन 'संघम शरण गच्छामि,बुद्धं शरणम् गच्छामि' को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से बौद्ध भिक्षुओं ने महाकुम्भ क्षेत्र में शोभा यात्रा निकाली। वहीं 06 फरवरी को 'बुद्ध शरणं गच्छामि, धम्म शरणम् गच्छा​मि' का उद्घोष करते हुए बौद्ध भिक्षुओं का दल संगम घाट पहुंचा और गंगा यमुना सरस्वती की त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाकर सनातन बौद्ध एकता का संदेश दिया। इस दौरान संगम तट भगवान बुद्ध की करूणा हो,सम्राट अशोक अमर रहें के नारे से गूंज उठा। संगम में डुबकी लगाने के बाद बौद्ध भिक्षुओं सनातन के प्रति गर्व की अनुभूति कर रहे थे। बौद्ध सम्मेलन में बांग्लादेश-पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बंद हो, तिब्बत स्वतंत्र हो और सनातन व बौद्ध की एकता को लेकर प्रस्ताव पास किया गया।

महाकुम्भ की व्यवस्था व स्वागत को देख अभिभूत दिखे बौद्ध भिक्षु

बौद्ध महाकुम्भ यात्रा की व्यवस्था,स्वागत और बौद्ध सनातन के दिव्य भव्य आयोजन को देखकर सभी बौद्ध भिक्षु अभिभूत दिखे। प्रत्येक कुम्भ में मिलने का संकल्प लेकर बौद्ध भिक्षु अपने-अपने स्थान के लिए रवाना हुए। चार दिवसीय बौद्ध महाकुम्भ यात्रा में 'बौद्ध व सनातनी एक थे, एक हैं,एक रहेंगे। हम सनातन के अंश थे,सनातन के अंश हैं और सनातन के अंश रहेंगे' का संकल्प लिया गया।

बौद्ध व सनातनी मिलकर दुनिया को करूणा व मैत्री का संदेश देंगे

निर्वासित तिब्बत की रक्षामंत्री गैरी डोलमा ने कहा कि प्रयागराज की पावन धरती पर लगे महाकुम्भ में हम बौद्ध व सनातनी एक साथ आए हैं। हम सबका सौभाग्य है कि हम सब एकत्व भाव के साथ कदम मिलाकर चल रहे हैं।

बौद्ध व सनातन की एकता से हम पूरे विश्व को सिखाएंगे करुणा व मैत्री

म्यांमार से आये भदंत नाग वंशा ने कहा कि मैं पहली बार महाकुम्भ में आया हूं। हम बौद्ध व सनातन में बहुत ही समानता है। हम लोग विश्व शांति के लिए काम करते हैं। हम भारत और यहां के लोगों को खुश देखना चाहते हैं। भारत सरकार बौद्ध धर्म का काम करने में सहयोग करती है। हम लोग मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री का आभार जताते हैं। म्यांमार से आए जोड़ा डोलो ने कहा कि बौद्ध व सनातन की एकता से हम पूरे विश्व को करुणा व मैत्री सिखाएंगे। लाओस से आये भंते वेन वत्थान दामोंग ने कहा कि हम एक रहेंगे तो सुरक्षित रहेंगे और दुनिया को अच्छाई का मार्ग दिखा सकेंगे। वियतनाम से आये न्युगेन थी सुगुमाई सत्य प्रेम व करूणा का दर्शन पूरे विश्व को समाधान देगा। यह कार्यक्रम बौद्ध एवं सनातन के बीच आपसी समन्वय, समता, सद्भाव एवं करुणा मैत्री का भाव विकसित करने में सहायक होगा।

बुद्ध की विचारधारा सनातनी है

अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के भदंत शील रतन ने कहा कि हम सब एक थे एक हैं एक रहेंगे। बुद्ध की विचारधारा ही सनातन है। बुद्ध भी सनातनी है। भारत कभी विचलित नहीं होता। भारत ​फिर से अखण्ड होगा और जगद्गुरू भारत बनेगा।

बौद्ध महाकुम्भ में इन देशों ने लिया हिस्सा

बौद्ध महाकुम्भ यात्रा में भारत के अलावा नेपाल, भूटान, म्यामांर, श्रीलंका, तिब्बत, जापान, कोरिया, कंबोडिया, लाओस व वियतनाम समेत कई देशों के बौद्ध भिक्षु शामिल रहे। यात्रा में भंते बुद्ध प्रिय विश्व,भंते राजकुमार श्रावस्ती, भंते अवश्वजीत प्रतापगढ़,भंते देवानंद वर्धन, जगतपाल बौद्ध अरुण सिंह बौद्धभिक्षुणी सुमेन्ता, भंते अनुरूद्ध कानपुर, भंते संघप्रिय रीवा मध्यप्रदेश, भंते बोधि रक्षित, भंते धम्म दीप औरैया, भंते बोधि रतन मैनपुरी व भंते संघ रतन शामिल रहे।