मथुरा के चंद्रोदय मंदिर में धूमधाम से मनी कृष्ण जन्माष्टमी
भगवान के नाम और धाम में कोई भेद नहींः चंचलापति
मथुरा, 27 अगस्त। भक्ति वेदांत स्वामी मार्ग स्थित चंद्रोदय मंदिर में लीला पुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण के 5251वें प्राकट्योत्सव को बडे़ ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी पर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव के दौरान भक्तों ने मंदिर प्रांगण में भव्य फूल बंगला, झूलन उत्सव, छप्पन भोग, लड्डू गोपाल अभिषेक, भजन संध्या, महाभिषेक एवं हरिनाम संकीर्तन का वृहद आयोजन किया।
भक्तों को संबोधित करते हुए मंदिर के अध्यक्ष चंचलापति दास ने कहा कि वृन्दावन धाम सभी श्रीकृष्ण भक्तों के लिए अति महत्वपूर्ण स्थान है। भगवान श्रीकृष्ण हम सब के आराध्य हैं। चैतन्य महाप्रभु ने कहा है कि जिस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण पूज्यनीय हैं, उसी प्रकार भक्तों के लिए वृन्दावन धाम भी पूज्यनीय है। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान स्वयं के विषय में एवं श्रीमद्भागवत में बडे़-बड़े ऋषि हमें भगवान के विषय में अवगत कराते हैं। शास्त्रों से हमें ज्ञात होता है कि भगवान श्रीकृष्ण ही हमारे पालनकर्ता हैं। हमें उनकी इस कृपा के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए। उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता का दृष्टांत देते हुए कहा कि भगवान से बड़ा कोई सत्य नहीं है। यदि हम भगवान का साक्षात्कार करना चाहते हैं तो उसके लिए हमें ज्ञान चक्षु की आवश्यकता होगी और यह हमें शास्त्रों के अध्ययन से प्राप्त होता है। आज हम उसी परमतत्व के 5251वें अवतरण उत्सव को मनाने के लिए एक साथ चंद्रोदय मंदिर के इस दिव्य भव्य एवं विशाल प्रांगण में एकत्रित हुए हैं।
चंद्रोदय मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव के अवसर पर श्रीश्री राधा वृन्दावन चंद्र के महाभिषेक की प्रक्रिया को वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य पंचगव्य दूध, दही, घी, शहद, मिश्री एवं 108 प्रकार के फलों के रस, विभिन्न जड़ी बूटियों एवं फूलों से संपन्न कराया गया। मंदिर के भक्तों द्वारा मंदिर प्रांगण को विभिन्न प्रकार के पुष्पों का चयन कर बड़े ही मनोहर रूप से सजाया गया। वहीं ठाकुर श्रीश्री राधावृन्दावन चंद्र को सात रंगों से युक्त रेशम एवं चांदी से कढ़ाई किए हुए वस्त्र धारण कराए गए।
मध्यरात्रि के 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, तब भगवान के नाम के जयकारों से पूरा चंद्रोदय मंदिर परिसर गुंजायमान हो उठा। भगवान श्रीकृष्ण के इस अवतरण दिवस पर आयोजित उत्सव में भाग लेने के लिए उत्तर प्रदेश के साथ-साथ दिल्ली, हरियाणा, पंजाब आदि प्रांतों के भक्त वृन्दावन पहुंचे एवं अपने आराध्य का दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किया।