प्राकृतिक खेती से आत्मनिर्भर बने शिमला के डीडी कश्यप, उगाई 116 किस्म की खाद्य फसलें

प्राकृतिक खेती से आत्मनिर्भर बने शिमला के डीडी कश्यप, उगाई 116 किस्म की खाद्य फसलें

प्राकृतिक खेती से आत्मनिर्भर बने शिमला के डीडी कश्यप, उगाई 116 किस्म की खाद्य फसलें

शिमला, 27 अप्रैल  प्रदेश की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है। प्रदेश की 69 प्रतिशत जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। इसी के दृष्टिगत प्रदेश सरकार किसानों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है और उनकी आय बढ़ाने व खेती की लागत घटाने के लिए महत्वपूर्ण योजनाएं लागू कर रही है।

प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के उदेश्य से हिमाचल प्रदेश सरकार ने नए आयाम स्थापित किए है, जिसकी बदौलत आज प्रदेश में किसानों को उसका लाभ प्राप्त हो रहा है। प्रदेश सरकार ने इस वित्त वर्ष में एक लाख नए किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया है ताकि रासायनिक खेती के दुष्प्रभाव से बचा जा सके।

प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती से उगाए गए मक्का पर पूरे भारत वर्ष में सबसे अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान किया है। इसी के मध्यनजर इस वित्त वर्ष में प्राकृतिक खेती से तैयार किये गए मक्का का समर्थन मूल्य 30 रुपए से बढ़ाकर 40 तथा गेहूं को 40 से बढ़ाकर 60 रुपये प्रति किलो करने की घोषणा की गई है। इसके अतिरिक्त प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए अन्य महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए है, जिससे प्रदेश के किसानों को आवश्यक रूप से लाभ प्राप्त होगा।

जिला शिमला के शिमला ग्रामीण उपमंडल के अंतर्गत पाहल गांव के निवासी दुर्गा दत्त कश्यप ने प्राकृतिक खेती कर आत्मनिर्भरता की नई मिसाल पेश की है, जो आज अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत बने है। डीडी कश्यप आज प्राकृतिक खेती से लगभग 116 प्रकार की खाद्य फसलें उगा रहे है, जिससे वह घर की आवश्यकता वाली अधिकतर चीजें प्राकृतिक खेती से पैदा कर रहे है। खुले बाजार से वह बहुत कम चीजें खरीदते है। डीडी कश्यप कहते है कि वह आज सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर निर्भर नहीं है क्यूंकि रोजमर्रा की सारी चीजें उन्हें अपनी जमीन से ही मिल रही है।

दुर्गा दत्त कश्यप वर्ष 2015 में हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड से उप मंडलीय अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए है। इसके उपरांत उन्होंने 2015 से लेकर 2024 तक भारत सरकार की नवरत्न कंपनी वाप्कोस में सलाहकार अभियंता के रूप में कार्य किया।

दुर्गा दत्त कश्यप ने कहा कि 2015 में हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड से सेवानिवृत होने के पश्चात् उन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन को दोबारा से उपजाऊ बनाने का संकल्प लिया। उन्होंने अपने खेतों की मरम्मत एवं रखरखाव के साथ प्राकृतिक खेती को अपनाया। प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए उन्होंने गूगल, यूट्यूब एवं बहुत सी किताबों का सहयोग लिया।

डीडी कश्यप ने कहा कि प्राकृतिक खेती से जुड़ने का दूसरा कारण आज के समय में फल सब्जियों को उगाने में रसायन व केमिकल का उपयोग है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इस जहर से मुक्ति के लिए उन्होंने प्राकृतिक खेती को अपनाया ।