जिलाधिकारी ने स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय का किया औचक निरीक्षण
स्वास्थ्य सेवाओं एवं उपलब्ध व्यवस्थाओं का गहन जायजा लिया, अधिकारियों को दिए महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश

प्रयागराज: जनपद में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने एवं आमजन को बेहतर चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध कराने के उद्देश्य से, जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार माँदड़ ने शनिवार को शहर के प्रमुख चिकित्सा संस्थान, स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय (एसआरएन) का आकस्मिक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने चिकित्सालय के विभिन्न विभागों, वार्डों और उपलब्ध संसाधनों का गहनता से मौके पर जायजा लिया और व्यवस्थाओं में पाई गई कमियों को शीघ्र दूर करने तथा आवश्यक सुधार करने हेतु सम्बंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों को कड़े निर्देश दिए।
निरीक्षण की शुरुआत में जिलाधिकारी ने चिकित्सालय परिसर की स्वच्छता व्यवस्थाओं पर विशेष ध्यान देने को कहा। उन्होंने पीने के पानी की उपलब्धता, शौचालयों की स्थिति और पूरे परिसर की साफ-सफाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ की समय पर अस्पताल में उपस्थिति पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि मरीजों को समुचित उपचार मिले और ओपीडी में डॉक्टर निर्धारित समय पर बैठकर मरीजों को देखें, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इस संबंध में उन्होंने चिकित्सालय के उपप्रधानाचार्य को विशेष रूप से निर्देशित किया।
उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि अस्पताल में सरकार द्वारा निःशुल्क उपलब्ध कराई जा रही महत्वपूर्ण जांच सुविधाएँ, जैसे एमआरआई, सिटी स्कैन, एक्सरे और अन्य पैथोलॉजी जांचें, आर्थिक रूप से कमजोर सहित सभी मरीजों को बिना किसी बाधा के प्राप्त हो सकें। इन सुविधाओं की उपलब्धता और क्रियाशीलता बनाए रखने के लिए आवश्यक प्रबंधन सुनिश्चित करने को कहा गया। इसके अतिरिक्त, अस्पताल की समग्र व्यवस्थाओं, विशेषकर साफ-सफाई, को चुस्त-दुरुस्त बनाए रखने के निर्देश दिए गए।
जिलाधिकारी ने सर्वप्रथम चिकित्सालय के इमरजेंसी वार्ड का दौरा किया। ड्यूटी रोस्टर की जांच के दौरान उन्होंने पाया कि इस समय ड्यूटी पर तैनात डॉ0 प्रशांत तो उपस्थित हैं, लेकिन डॉ0 दीपक अनुपस्थित मिले। इस पर जिलाधिकारी ने गहरी अप्रसन्नता व्यक्त की और तत्काल निर्देश दिया कि ड्यूटी रूम के बाहर एक स्पष्ट बोर्ड लगाया जाए, जिस पर शिफ्टवार ड्यूटी पर तैनात चिकित्सकों के नाम, मोबाइल नम्बर और समय स्पष्ट रूप से अंकित हो, ताकि मरीजों और उनके तीमारदारों को जानकारी रहे। इमरजेंसी वार्ड में एसी और सीसीटीवी कैमरों के क्रियाशील न होने पर उन्होंने तत्काल मरम्मत कराने और उन्हें चालू हालत में लाने के निर्देश दिए।
डायग्नोस्टिक विंग की जांच के दौरान, उन्होंने एक्सरे, सिटी स्कैन और पैथोलॉजी विभागों में स्थापित मशीनों की कार्यशीलता के बारे में विस्तृत जानकारी ली। उन्होंने इन विभागों में तैनात कार्मिकों के व्यवहार और प्रस्तुति को बेहतर बनाने के लिए 'ग्रूमिंग क्लास' आयोजित कराने की बात कही। सभी जांच रिपोर्टों को निर्धारित सरकारी शुल्क पर समय से मरीजों को उपलब्ध कराने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के निर्देश दिए गए।
जिलाधिकारी ने स्वयं मरीजों से मिलकर उनका हालचाल जाना। उन्होंने मरीजों से पूछा कि क्या डॉक्टर समय पर उनसे मिलने आते हैं और क्या उन्हें अस्पताल में किसी प्रकार की असुविधा का सामना तो नहीं करना पड़ रहा है। उन्होंने विशेष रूप से इमरजेंसी वार्ड में लाई गई एक वर्ष की बच्ची के संबंध में जानकारी ली, जिसे उसकी माँ द्वारा पुल से फेंक दिया गया था। इस संवेदनशील मामले में उन्होंने जिला प्रोबेशन अधिकारी से तत्काल वार्ता कर बच्ची को सभी आवश्यक चिकित्सीय और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। इसी प्रकार, ट्रेन की चपेट में आने से अपने दोनों पैर और एक हाथ गंवा चुके भैया लाल नामक व्यक्ति के लिए उन्होंने मुख्य विकास अधिकारी से आयुष्मान कार्ड बनवाने हेतु शीघ्र कार्रवाई करने को कहा। उन्होंने अन्य मरीजों और उनके साथ आए तीमारदारों से भी बात कर चिकित्सालय द्वारा उन्हें दी जा रही सुविधाओं के संबंध में फीडबैक लिया।
जिलाधिकारी ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि मरीजों को किसी भी सुविधा के लिए इधर-उधर भटकना न पड़े। समस्त आवश्यक व्यवस्थाएं और सुविधाएं उन्हें सुगमता से एक ही स्थान पर मिल सकें, यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी अपर नगर मजिस्टेªटों को सौंपी गई। उन्होंने ज्वाइंट मजिस्टेªट और सभी अपर नगर मजिस्टेªटों को आज ही (निरीक्षण वाले दिन) पूरे चिकित्सालय का विस्तृत निरीक्षण कर आवश्यक सुविधाओं के संबंध में अपनी आख्या (रिपोर्ट) तत्काल उपलब्ध कराने के लिए निर्देशित किया।
भविष्य में व्यवस्थाओं की निगरानी और वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए, जिलाधिकारी ने मुख्य विकास अधिकारी, ज्वाइंट मजिस्टेªट और अपर नगर मजिस्टेªट द्वितीय की एक संयुक्त कमेटी गठित करने के निर्देश दिए, जो चिकित्सालय के खातों का ऑडिट कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। उन्होंने चिकित्सकों की विजिट शीट मेंटेन करने की प्रणाली शुरू करने को भी कहा, ताकि डॉक्टरों के वार्ड विजिट का रिकॉर्ड रखा जा सके।
जिलाधिकारी ने चिकित्सालय में कार्यरत सभी चिकित्सकों और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ को मरीजों के साथ विनम्र और अच्छा व्यवहार करने की सख्त हिदायत दी। उन्होंने कहा कि निरीक्षण के दौरान जो भी कमियां पाई गई हैं, उपप्रधानाचार्य और एसआईसी (मुख्य चिकित्सा अधीक्षक) उन्हें सूचीबद्ध कर एक निर्धारित समय-सीमा (टाइमलाइन) के भीतर युद्धस्तर पर दूर करें, ताकि यहाँ आने वाले मरीजों को बेहतर और सुखद व्यवस्था का अनुभव हो सके।
उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि बाहर से दवा लिखे जाने की कोई शिकायत प्राप्त होती है, तो सम्बंधित चिकित्सक के विरुद्ध कड़ी दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी। चिकित्सालय परिसर में अक्सर अनावश्यक रूप से प्रवेश करने वाली प्राइवेट एम्बुलेंस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के निर्देश उन्होंने चौकी प्रभारी को दिए और कहा कि यदि परिसर में प्राइवेट एम्बुलेंस का प्रवेश पाया गया, तो सम्बंधित चौकी प्रभारी के विरुद्ध भी कार्यवाही की जाएगी।
अंतिम निर्देश के तौर पर, उन्होंने चिकित्सालय परिसर के भीतर इमरजेंसी वार्ड तक जाने वाली सड़क की तत्काल मरम्मत कराने और आवश्यकतानुसार चौड़ीकरण कराने के लिए भी कहा, ताकि आपातकालीन स्थिति में मरीजों को लाने-ले जाने में कोई दिक्कत न हो। इस महत्वपूर्ण निरीक्षण के दौरान मुख्य विकास अधिकारी हर्षिका सिंह, ज्वाइंट मजिस्टेªट श्री अनिमेश वर्मा, सभी अपर नगर मजिस्टेªट सहित चिकित्सालय के सम्बंधित अधिकारीगण उपस्थित रहे। जिलाधिकारी के इस औचक निरीक्षण से अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया और व्यवस्थाओं को सुधारने की कवायद तेज हो गई है।