बांदा: दो माह के मासूम को उत्पाती बंदर ने छत से नीचे फेंका, मौत
दो माह के मासूम को उत्पाती बंदर ने छत से नीचे फेंका, मौत
बांदा, 04 जनवरी। जनपद के तिंदवारी थाना क्षेत्र में छापर गांव में इन दिनों बंदरों का आतंक है। मंगलवार की शाम उत्पाती बंदरों ने अपने घर की छत में सो रहे दो माह के मासूम बच्चे को छत से नीचे फेंक दिया, जिससे उसकी घटनास्थल पर मौत हो गई। घटना से ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है। वही वन विभाग द्वारा यह कहकर पल्ला झाड़ लिया गया कि अब बंदर वन्यजीव श्रेणी से बाहर हैं।
ग्राम छापर निवासी विश्वेश्वर वर्मा का दो माह का पुत्र अभिषेक मंगलवार की शाम छत के खपरैलदार बरामदे के नीचे सो रहा था। तभी वहां चार-पांच बंदरों का झुंड आ गया। इस दौरान कामकाज में जुटे परिजनों की नजर बंदरों पर पड़ी तो उन्होंने बंदरों को भगाना शुरू किया। इसी बीच एक बंदर ने पालने में सो रहे दो माह के मासूम अभिषेक को उठा लिया और इसके बाद छत से नीचे फेंक दिया। यह देखते ही घर के लोगों में सनसनी फैल गई। बच्चे को उठाकर फौरन डॉक्टर के पास ले गए, डॉक्टर ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। इस घटना से ग्रामीणों में आक्रोश है। घटना के बाद ग्राम प्रधान ने इस मामले की जानकारी फोन से एसडीएम सदर सुरभि शर्मा को दी और बंदरों को पकड़वाने का अनुरोध किया।
इस बारे में प्रभारी वनाधिकारी संजय अग्रवाल ने बुधवार को बताया कि उन्हें घटना की जानकारी मिली है। बंदरों को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम भेजी गई है। उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में एक्ट में संशोधन कर बंदरों को वन्यजीव श्रेणी से बाहर कर दिया गया है। हालांकि मानवीय संवेदना के तहत विभाग द्वारा बंदरों को पकड़ा जाएगा।
उल्लेखनीय है कि इस गांव में पिछले कई महीनों से बंदरों का आतंक व्याप्त है। इस सिलसिले में ग्रामीणों ने वन विभाग को अवगत भी कराया था, लेकिन विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। इससे पहले बंदरों को भगाते समय दो माह पूर्व 65 वर्षीय तेजनिया गिरकर घायल हो गई थी। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले छह माह में गांव के एक दर्जन लोग बंदरों के हमले में घायल हो चुके हैं। इसके बाद भी वन विभाग द्वारा ध्यान नहीं दिया गया। छापर गांव के अलावा माटा, जसईपुर भिडौरा में भी बंदरों का आतंक व्याप्त है।