भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और ज्ञान परम्परा को युवाओं तक पहुंचाने का दिव्य अवसर : जगद्गुरु रामभद्राचार्य

भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और ज्ञान परम्परा को युवाओं तक पहुंचाने का दिव्य अवसर : जगद्गुरु रामभद्राचार्य

भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और ज्ञान परम्परा को युवाओं तक पहुंचाने का दिव्य अवसर : जगद्गुरु रामभद्राचार्य

भारत के श्रेष्ठ मनीषियों के सान्निध्य में सनातन संस्कृति का अमृत स्नानसनातन संस्कृति का अमृत स्नान भारतीय संस्कृति का अद्वितीय महोत्सव

महाकुम्भ नगर,07 फरवरी (हि.स.)। भारतीय संस्कृति सहने और देने की संस्कृति है। भारतीय संस्कृति कठिनाईयों में आनंद की संस्कृति है, कल्पवास उसका सबसे बड़ा उदाहरण है। यह उद्बोधन परमार्थ निकेतन के शिविर में तीन दिवसीय विद्वत कुम्भ के मौके पर शुक्रवार को जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज ने कही।

उन्होंने प्रयागराज तीर्थ की महिमा बताते हुये कहा कि तीर्थ हमें सब के कल्याण का संदेश देते हैं। भारत की प्राचीन और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, ज्ञान परंपरा और अध्यात्मिक विरासत को पुनः जीवित करने का अनूठा अवसर है। यह आयोजन विशेष रूप से भारतीय संस्कृति, योग, वेद, उपनिषद और धार्मिक परंपराओं पर केंद्रित है ताकि नए पीढ़ी तक इस दिव्य ज्ञान को पहुँचाया जा सके।

इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि भारत की संस्कृति, अध्यात्म और ज्ञान परम्परा अनंत काल से विश्व में प्रेरणा का स्रोत रही है। यह हमारी पहचान, हमारी ताकत और हमारे इतिहास का अद्वितीय अंग है। इस संस्कृति को युवाओं तक पहुंचाना आवश्यक है ताकि वे अपने मूल्यों, परंपराओं और आस्थाओं से जुड़ सकें।

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जहां पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव तेजी से बढ़ता दिखायी दे रहा है, ऐसे समय में भारतीय संस्कृति और अध्यात्म से युवाओं को जोड़ना अत्यंत आवश्यक हो गया है। विभिन्न संस्कृतियों से सजी युवा पीढ़ी को भारतीय जीवन शैली, तात्त्विक विचारधारा, योग, ध्यान, संस्कृत और वेदों के अद्वितीय ज्ञान से अवगत कराना आवश्यक है। स्वामी जी ने कहा कि पूज्य जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महाराज के अथक प्रयास के कारण ही हम श्रीराम मन्दिर के दर्शन कर पा रहे हैं।

साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि हमें महाकुम्भ के असली ताकत को विश्व तक ले जाना है। महाकुम्भ भारतीयों की आस्था, तप व त्याग का परिणाम है। महाकुम्भ, सनातन संस्कृति का आकर्षण है और ब्रह्मण्ड के आमंत्रण का पर्व है इसलिये इसका आनंद लें।

नदियों ने पूरे देश को जोड़ कर रखा

पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने कहा कि नदियों ने पूरे देश को जोड़ कर रखा है। भूगोल ने हमें भले ही अलग किया हो परन्तु हमारी संस्कृति व नदियों ने हमें जोड़ कर रखा है। महाकुम्भ की असली ताकत तीर्थ यात्रियों का संयम, धैर्य व सहनशक्ति ही है।

इस दिन दिवसीय विद्वत महाकुम्भ में पद्म विभूषण डाॅ सोनल मानसिंह, प्रसिद्ध अभिनेता पंकज त्रिपाठी, संजीव सान्याल, जे नंदकुमार, पद्मश्री डाॅ विद्या बिन्दु सिंह, पद्मश्री शेखर सेन, मिथिलेश नंदिनी, पद्म श्री मालिनी अवस्थी, यतीन्द्र मिश्र, प्रफुल्ल केलकर, ऋचा अनिरूद्व, पद्मश्री प्रतिभा प्रह्लाद ,आशुतोष शुक्ला, रमा बैद्यनाथन, प्रो संगीता श्रीवास्तव, प्रो आलोक कुमार राय, प्रो नीरजा गुप्ता, अद्वैता काला, प्रो माॅली कौशल, डा अन्नया अवस्थी, राहुकल नील, सुनीता अवनी अमीन कई प्रमुख लोग उपस्थित रहे।