मां विध्यवासिनी के कुष्मांडा स्वरुप को निहारा, जयकारे से गूंजा विंध्यधाम
मां विध्यवासिनी के कुष्मांडा स्वरुप को निहारा, जयकारे से गूंजा विंध्यधाम
05 अप्रैल। चैत्र नवरात्र के चौथे दिन मां विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। मंगलवार होने के नाते भीड़ अधिक दिखी। भक्तों ने मां विध्यवासिनी के कुष्मांडा स्वरूप का दर्शन-पूजन कर मंगलकामना की। मां विध्यवासिनी का दर्शन करने के बाद विंध्य पर्वत पर विराजमान मां अष्टभुजा व मां काली का दर्शन-पूजन कर त्रिकोण परिक्रमा की।
भोर की मंगला आरती के बाद गर्भगृह का कपाट खुलते ही या देवी सर्वभूतेषु मां कुष्मांडा रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: के साथ मां विध्यवासिनी की जयकारे से विंध्यधाम गुंजायमान हो उठा। मां विंध्यवासिनी के दर्शन को दूर-दराज के श्रद्धालु देर रात ही विंध्यधाम पहुंच गए थे। गंगा स्नान के बाद नारियल, चुनरी, माला-फूल प्रसाद लेकर श्रद्धालु कतारबद्ध हो गए। आदिशक्ति जगत जननी मां विध्यवासिनी का श्रृंगार रत्न जड़ित आभूषण व विभिन्न सुगंधित फूलों से किया गया था। भव्य श्रृंगार का दर्शन पाकर श्रद्धालु निहाल हो उठे। किसी ने झांकी से तो किसी ने गर्भगृह पहुंच मां विंध्यवासिनी का दर्शन-पूजन किया। गंगा घाटों पर भी स्नानार्थियों की भीड़ दिखी। कई श्रद्धालुओं ने बच्चों का मुंडन संस्कार भी कराया।
विंध्यवासिनी मंदिर के साथ ही विंध्य पर्वत पर विराजमान मां काली व मां अष्टभुजा दरबार में भी दर्शन-पूजन के लिए आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। भक्तों ने श्रद्धा-भाव से दर्शन-पूजन कर त्रिकोण परिक्रमा की। भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस-प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ी। श्रीविंध्य पंडा समाज भक्तों की सेवा में जुटा रहा तो पीएसी जवान भी सुरक्षा व्यवस्था में मुस्तैद दिखे। दर्शन-पूजन के बाद श्रद्धालुओं ने सैर-सपाटा कर खूब आनंद लिया।