पुलिस इंस्पेक्टर की 34 वर्ष पूर्व हुई हत्या के आरोपियों को राहत, बरी

सत्र न्यायालय ने सुनाई थी सभी को आजीवन कारावास की सजा, सजा को किया रद्द

पुलिस इंस्पेक्टर की 34 वर्ष पूर्व हुई हत्या के आरोपियों को राहत, बरी

प्रयागराज, 30 मई। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नरौरा से बुलंदशहर जा रहे पुलिस इंस्पेक्टर की 34 वर्ष पूर्व हुई हत्या के आरोपियों को राहत देते हुए उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया है। साथ ही उन्हें तुरंत जेल से रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों पर आरोप संदेह से परे साबित नहीं कर सका है। लिहाजा, सत्र न्यायालय के आदेश को रद्द किया जाता है।



यह आदेश न्यायमूर्ति अरविंद सिंह सांगवान व न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने चंद्रपाल व तीन अन्य, प्रमोद कुमार शर्मा, संजय दीक्षित की ओर से दाखिल आपराधिक अपील को स्वीकार करते हुए दिया है।

कोर्ट ने कहा कि जांच रिपोर्ट और मौके पर तैयार किए गए अन्य दस्तावेजों में आईपीसी की धारा 147, 148 और 149 को बाद में जोड़ा गया है, जो पुलिस द्वारा की गई जांच पर संदेह पैदा करती है। बचाव पक्ष के इस कथन का समर्थन करती हैं कि ये धाराएं बाद में जोड़ी गई थीं।

क्योंकि, मृतक एक पुलिस इंस्पेक्टर था और उसकी हत्या अज्ञात व्यक्ति ने की थी। इसी तरह, जांच अधिकारी द्वारा धारा 147, 148 और 149 आईपीसी को जोड़ने के बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। शव को साढ़े सात घंटे देरी से पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेजना, विचाराधीन रायफल की बरामदगी न होना आदि ऐसे कई तथ्य हैं जो अभियोजन की कहानी हो संदेह से परे साबित नहीं कर पा रहे हैं। लिहाजा, आरोपियों के खिलाफ आरोप तय नहीं हो पाया।

कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता चन्द्रपाल और वीरपाल की पहले ही मृत्यु हो चुकी है। लिहाजा, उनकी अपील निरस्त की जाती है। अपीलकर्ता संजय दीक्षित, वीरपाल और प्रमोद कुमार शर्मा पहले से ही जमानत पर हैं। जबकि, योगेंद्र को कभी जमानत नहीं दी गई और दिनांक पांच नवम्बर 2022 के हिरासत प्रमाण पत्र के अनुसार, वह 13 साल से अधिक समय से जेल में है। लिहाजा, उसे रिहा करने का आदेश दिया जाता है।

मामले में बुलंदशहर के नरौरा थाने में मृतक देवेंद्र प्रकाश गौड़ अपने पिता कांति प्रसाद गौड़, पुलिस इंस्पेक्टर महेंद्र कुमार कौशिक के साथ नरौरा से बुलंदशहर की ओर से जा रहा था। रास्ते में अपीलार्थियों ने उस फायरिंग कर हत्या कर दी। ट्रायल कोर्ट ने संजय दीक्षित, योगेंद्र, संजय कुमार साहनी उर्फ संजीव कुमार, प्रमोद कुमार शर्मा, चंद्रपाल, वीरपाल, हरपाल, महेंद्र कुमार कौशिक को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

ट्रायल कोर्ट के दोषियों ने हाईकोर्ट के समक्ष सत्र न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी। सुनवाई के दौरान संजय कुमार साहनी, चंद्रपाल, वीरपाल की पहले ही मौत हो गई थी। कोर्ट ने बाकी आरोपियों को दोषी न पाते हुए बरी करने का आदेश पारित किया।