प्रयागराज विकास प्राधिकरण में करोड़ों के घोटाले की जांच को लेकर याचिका दाखिल
हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार, प्रदेश सरकार व पीडीए से माँगा जवाब
प्रयागराज, 13 अगस्त (हि.स.)। प्रयागराज विकास प्राधिकरण में करोड़ों रुपए की वित्तीय अनियमितता और घोटाले के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र, राज्य सरकार और पीडीए से जवाब तलब किया है। प्राधिकरण में विगत 5 वर्षों के दौरान 32 करोड़ 19 लाख रुपए से अधिक के भारी-भरकम घोटाले का खुलासा प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल की ऑडिट रिपोर्ट में होने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता अजय कुमार मिश्र ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है।
याचिका पर सुनवाई कर रहे कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की पीठ ने 31 अगस्त तक इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
याचिका में कहा गया है कि याची ने प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल लखनऊ और प्रयागराज से प्रयागराज विकास प्राधिकरण द्वारा अप्रैल 2015 से सितंबर 2018 और अक्टूबर 2018 से जनवरी 2020 के दौरान कराए गए कार्यों की ऑडिट रिपोर्ट, सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी थी। विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई रिपोर्ट से पता चलता है कि इस दौरान पीडीए द्वारा कराए गए कार्यों से सरकारी खजाने को 32 करोड़ 19 लाख 41. 816 रुपए की आर्थिक चोट पहुंचाई गई है। कहा गया है कि विभागीय अधिकारियों और कुछ ठेकेदारों की मिलीभगत से सरकारी खजाने को भारी भरकम नुकसान पहुंचाया गया।
याचिका में कहा गया है कि पीडीए के अधिकारियों द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार के बावजूद ना तो किसी की जिम्मेदारी तय की गई और ना ही किसी पर कार्रवाई की गई है। याचिका में कहा गया है कि पीडीए अधिकारियों ने ऑडिट अधिकारियों को जानबूझ कर बहुत सारे रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं करवाए हैं। ऑडिट अफसरों द्वारा दस्तावेजों की जो सूची उपलब्ध कराई गई थी, वह दस्तावेज उनको नहीं दिए गए, ताकि विभाग की जड़ों तक फैले भ्रष्टाचार की जानकारी को छुपाया जा सके। याचिका में मांग की गई है कि इन वित्तीय अनियमितताओं की जांच उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर कराने का आदेश दिया जाए तथा किसी विशेषज्ञ संस्था को पीडीए अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही करने का निर्देश दिया जाए।
याचिका में यह भी कहा गया है कि कुंभ मेले के दौरान पीडीए द्वारा कराए गए तमाम कार्यों में गम्भीर वित्तीय अनियमितता की गई है। कुछ गिने-चुने ठेकेदारों को ही बार-बार ठेके दिए गए। जबकि उनके टेंडर अन्य प्रतिस्पर्धियों से ज्यादा ऊँची दर पर थे। याचिका के मुताबिक ऑडिट रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है की 2018 में फायर ब्रिगेड चौराहा से पानी टंकी चौराहे तक अंडरग्राउंड केबल बिछाने का ठेका दिया गया, जबकि वहां पहले से अंडरग्राउंड केबल पड़ी थी। इस तरह से लाखों रुपए की चपत सरकारी खजाने को लगाई गई।
इसी प्रकार कालिंदीपुरम में मल्टी स्टोरी बिल्डिंग का ठेका एनसीसी लिमिटेड को दिया गया जिसमें 38,63,422.68 लाख रुपये का जीएसटी नहीं काटा गया। इस प्रकार से सरकारी खजाने को लाखों रुपए का नुकसान हुआ। सब डिविजनल चार्ज वसूली और सेवा कर चार्ज आदि की कटौती में भी राज्य सरकार को करोड़ों रुपए की आर्थिक चोट पहुंचाने का ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ है। याचिका की सुनवाई 31 अगस्त को होगी।