राम मंदिर आन्दोलन से जुड़े रहे पंडित राम शिरोमणि मिश्रा नहीं रहे
राम मंदिर आन्दोलन से जुड़े रहे पंडित राम शिरोमणि मिश्रा नहीं रहे
प्रयागराज,10 अगस्त । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व विभाग संघचालक 92 वर्षीय पंडित राम शिरोमणि मिश्र का आज हृदय गति अवरुद्ध होने के कारण निधन हो गया।
सराय इनायत थाने के जमुनीपुर स्थित गांव में वह अपने कक्ष में एक पुस्तक पढ़ रहे थे। उसी समय हृदय गति अवरुद्ध होने से नीचे गिर गए जिससे उनके सिर में चोट आ गई। परिवार के लोग सहारा देकर अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनके निधन पर प्रांत संघचालक डॉक्टर विश्वनाथ लाल निगम प्रांत प्रचारक रमेश जी सह प्रांत कार्यवाह प्रोफेसर राज बिहारी जी प्रांत प्रचार प्रमुख डॉक्टर मुरारजी त्रिपाठी प्रांत कार्यकारिणी सदस्य आलोक मालवीय विभाग संघचालक प्रोफेसर के पी सिंह विभाग प्रचारक डॉक्टर पीयूष जी विभाग कार्यवाह संजीव जी भाजपा जिलाध्यक्ष अश्विनी दुबे, विधायक दीपक पटेल पार्षद पवन श्रीवास्तव पार्षद मनोज कुशवाहा पार्षद आशीष गुप्ता पूर्व पार्षद नीरज गुप्ता समेत अनेक कार्यकर्ताओं ने गहरा शोक प्रकट किया है । उनका अंतिम संस्कार बुधवार को लीलापुर घाट में संपन्न होगा।
स्व. अशोक सिंघल जीे के अति करीबी थे पंडित राम शिरोमणि
वे मोतीलाल नेहरू इंटर कॉलेज जमुनीपुर में लंबे समय तक प्रधानाचार्य रहे। दो वर्ष नेहरू ग्राम भारतीय के प्रचार्य भी रहे। भारतीय जनता पार्टी के पहले जिलाध्यक्ष रहे तथा 1969 में पहला चुनाव जनसंघ से और 1974 एवं 1980 विधानसभा का चुनाव भी लड़े थे। अपने पीछे सबसे बड़ी बेटी एक अरूनधती ओझा, दूसरे नम्बर पर अक्षवट मिश्रा, अशोक कुमार मिश्रा, अनिरूद्ध मिश्रा, अविनाश मिश्रा और सबसे छोटे बेटे अविनाश मिश्रा समेत भरा पूरा परिवार छोड़कर चले गए।
श्री मिश्र राममंदिर आन्दोलन से जुड़े रहे और भाजपा नेता उमा भारतीय, पूज्य अशोक सिंघल जीे के अति करीबी थे। आन्दोलन के दौरान जेल भी गए थे। आजीवन बच्चों को निःशुल्क शिक्षण का भी कार्य करते थे। आज भी वह बच्चों को पढ़ाने के बाद घर पर बैठे-बैठे गिर गए।
पूर्व राज्यपाल ने कही ये बात
पूर्व राज्यपाल पंडित केसरीनाथ त्रिपाठी ने कहा कि पंडित राम शिरोमणि मिश्र का संपूर्ण जीवन राष्ट्र के प्रति समर्पित रहा । वह बाल्यकाल से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयं सेवक बन विभिन्न दायित्वों का निर्वाह किया। कई वर्षों तक विभाग संचालक के रूप में उनका पाथेय प्राप्त होता रहा । उन्होंने उनको निष्ठावान स्वयं सेवक एवं त्याग की प्रतिमूर्ति बताया।