मुविवि में भारतीय संस्कृति की मूल चेतना पर व्याख्यान

आत्मचेतना से ही मनुष्य श्रेष्ठ : प्रो. सिन्हा

मुविवि में भारतीय संस्कृति की मूल चेतना पर व्याख्यान

प्रयागराज, 18 मई । उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में बुधवार को भारतीय संस्कृति की मूल चेतना विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता प्रो. ए.के. सिन्हा, पूर्व विभागाध्यक्ष प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति विभाग, महात्मा ज्योतिबा फुले रूहेलखंड विश्वविद्यालय, बरेली ने कहा कि आत्म चेतना मनुष्य को निरंतर गतिशील बनाए रखती है। चेतना की अभिव्यक्ति ही गतिशीलता प्रदान करती है। मनुष्य पशुओं से इसलिए श्रेष्ठ है क्योंकि उसमें आत्म चेतना होती है। आत्म चेतना मनुष्य को श्रेष्ठता प्रदान करती है।

समाज विज्ञान विद्या शाखा के तत्वावधान में आयोजित व्याख्यान में प्रोफेसर सिन्हा ने कहा कि आत्म चेतना के कारण ही आगे बढ़ने की प्रवृत्ति संस्कृति का विकास करती है। इसी से मूल्य चेतना का विकास होता है। उच्च लक्ष्य को प्राप्त करना ही मूल्य चेतना है। संस्कृति मूल्यों का समूच्चय है। उन्होंने कहा कि चेतना से संस्कृति का स्वरूप निर्धारण होता है। भारतीय संस्कृति में चेतना के मूल्य को खोजने की प्रवृत्ति है।

अध्यक्षता करते हुए प्रबंधन अध्ययन विद्या शाखा के निदेशक प्रो. ओमजी गुप्ता ने कहा कि भारतीय संस्कृति विश्वबंधुत्व की भावना से ओत-प्रोत है। आज जहां पूरा विश्व बहुत सीमित हो गया है। वहीं पूरे विश्व को एक परिवार के रूप में देखने की भारतीय संस्कृति की परिकल्पना साकार हो रही है। उन्होंने कहा कि विश्व की अन्य सभी संस्कृतियां तहस-नहस हो गई। एक भारतीय संस्कृति ही है जिसका वजूद अभी भी कायम है।

इसके पूर्व अतिथियों का स्वागत समाज विज्ञान विद्या शाखा के प्रभारी प्रो. एस. कुमार ने किया। संचालन डॉ सुनील कुमार एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ त्रिविक्रम तिवारी ने किया। इस अवसर पर डॉ संजय सिंह, डॉ आनंदानंद त्रिपाठी एवं डॉ दीपशिखा श्रीवास्तव ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के निदेशक, शिक्षक एवं कर्मचारी आदि उपस्थित रहे।