दो साल के अंदर तैयार हुई कानपुर मेट्रो, ट्रायल रन को हरी झण्डी दिखाएंगे मुख्यमंत्री
देश की सबसे तकनीक वाली तैयार हो रही कानपुर मेट्रो
कानपुर, 09 नवम्बर । उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना कानपुर मेट्रो अब ट्रायल के पड़ाव तक पहुंच गई है। बुधवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बटन दबाकर मेट्रो ट्रेन को ट्रायल के लिए रवाना करेंगे और इस तरह से औपचारिक रूप से कानपुर मेट्रो के प्राथमिक सेक्शन पर ट्रायल्स की शुरुआत होगी।
कानपुर में आईआईटी से मोतीझील के बीच निर्मित 09 किमी. लंबा प्राथमिक सेक्शन दो साल से भी कम समय में बनकर ट्रायल के लिए तैयार है और जल्द ही इस पर यात्री सेवाओं का भी शुभारंभ किया जाएगा। दो साल पहले आईआईटी में मुख्यमंत्री ने 15 नवंबर को इस सेक्शन पर निर्माण कार्यों का उद्घाटन किया था। मुख्यतः रिसर्च डिजाइन ऐंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) द्वारा लगभग छह हफ्तों तक मेट्रो ट्रेन के साथ ट्रायल किया जाएगा, जिसके अंतर्गत ट्रेन के सस्पेंशन, परिचालन के दौरान ट्रेन बॉडी में आने वाले वाइब्रेशन, ब्रेक्स और गति आदि के संबंध में विभिन्न परीक्षण किए जाएंगे। आरडीएसओ के परीक्षण पूरे होने के बाद मेट्रो रेल संरक्षा आयुक्त (सीएमआरएस) से अनुमोदन प्राप्त कर मेट्रो की यात्री सेवाओं को जल्द ही आम जनता को समर्पित कर दिया जाएगा।
तेज रफ्तार का पर्याय बनी कानपुर मेट्रो
नए प्रतिमान स्थापित किए शुभारंभ के बाद से यूपीएमआरसी ने निरंतर कानपुर मेट्रो के निर्माण कार्यों की तेज रफ्तार को बनाए रखा और पहले पियर (पिलर) का निर्माण 31 दिसंबर 2019, U गर्डर निर्माण का शुभारंभ 20 जनवरी 2020 पियर कैप परिनिर्माण (इरेक्शन) का शुभारंभ 2 मार्च 2020, डबल टी गर्डर परिनिर्माण का शुभारंभ 25 जुलाई 2020, U- गर्डर परिनिर्माण का शुभारंभ 11 अगस्त 2020, अंतिम (439 वें) डबल टी गर्डर का परिनिर्माण 14 मार्च 2021, अंतिम (624वें) U- गर्डर का परिनिर्माण 02 अक्टूबर 2021 हुआ।
ब्रेक से निकली एनर्जी आएगी काम
देश में पहली बार कानपुर मेट्रो परियोजना में ही ऑटोमेटिक कोच बॉश प्लान्ट को आधार देने के लिए पोर्टल के स्थान पर दिन पियर कैप का नवाचार किया गया, जिसकी मदद से सड़क पर वाहनों की सुचारू आवाजाही के लिए जगह की बचत हुई और मेट्रो के सिविल ढांचे की सुंदरता बढ़ी। यही नहीं भारत में पहली बार कानपुर मेट्रो के थर्ड रेल डीसी ट्रैक्शन सिस्टम के साथ खास इन्वर्टर लगाया गया है। यह ट्रेन में लगने वाले ब्रेक्स से पैदा होने वाली ऊर्जा को वापस सिस्टम में इस्तेमाल के योग्य बनाएगा। अभी तक देश में थर्ड रेल डीसी ट्रेक्शन सिस्टम के साथ परिचालित किसी भी मेट्रो रेल परियोजना में ऐसी व्यवस्था नहीं है।