षष्ठी पर देवी के कात्यायनी स्वरूप की आराधना, मंदिरों में हुए दिव्य शृंगार
षष्ठी पर देवी के कात्यायनी स्वरूप की आराधना, मंदिरों में हुए दिव्य शृंगार
\लखनऊ,11 अक्टूबर। शारदीय नवरात्रि की षष्ठी तिथि, सोमवार को माता कात्यायनी का जयघोष हुआ। भक्तों ने माता की इसी स्वरूप की पूजा की। आदिशक्ति माता दुर्गा अपने छठवें स्वरूप में माता कात्यायनी देवी के स्वरूप में जगत में वंदित हैं। माता ने अपने इसी स्वरूप में महिषासुर का वध किया था, इस कारण से यह माता महिषासुरमर्दिनी के नाम से भी विख्यात है। मंदिरों में भक्तों को कात्यायनी स्वरूप के दर्शन कराए गए। मंदिरों में जगत जननी का दिव्य शृंगार किया गया । मंगलवार को सप्तमी तिथि की पूजा होगी।
जैसे नवरात्रि बीत रहे हैं वैसे ही भक्तों का उत्साह भी बढ़ रहा है। अब काफी संख्या में भक्त मंदिर को जाने लगे हैं। लखनऊ ,चौपटिया स्थित संदोहन देवी मंदिर में षष्ठी पर देवी को ऐन्द्री स्वरूप में दर्शन किए। इसमें माता को गज पर विराजित दिखाया गया। माता के विग्रह में सहस्त्रों नेत्र बनाए गए थे। इसके अलावा महिलाओं ने भजन किए। पुराने शहर में इस मंदिर की मान्यता है । यह बड़ा ही प्राचीन मंदिर है। नवरात्रि पर उधर के काफी संख्या में भक्त इस मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं।
बख्शी का तालाब स्थित 51 शक्पिीठ मंदिर में माता का शृंगार पीले रंग में किया गया। सारी देवियों को जब पीले वस्त्र धारण करा दिए गए तो उनकी शोभा देखने ही वाली थी। भक्तों को इस मंदिर में एक ही छत के नीचे देवी 51 शक्तिपीठों के दर्शन हो जाते है। इस कारण यह अपने में एक अकेला मंदिर है। इस मंदिर की स्थापना स्व. रघुराज दीक्षित ने साल 2005 में की थी। पांच साल इस मंदिर को बनने में लगे थे। पहले यह एक ही मंजिल बना था। बाद में धीरे-धीरे और भी कई मंजिल बनते गए। दीक्षित जी के बाद उनकी बेटी तृप्ति तिवारी इस मंदिर का रख-रखाव देख रही है।
ठाकुरगंज स्थित पूर्वी देवी मंदिर का शृंगार गुलाब और गेंदे के फूलों से किया गया। माता को गाजरी रंग के परिधान पहनाए गए थे। इसके अलावा यहां महिलाओं ने देवी के भजन किए। श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ हुआ। इसके अलावा शहर के अन्य मंदिरों में शृंगार हुआ और भक्तों ने दर्शन किए।