हर ओर गूंज उठा ''या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता...''
हर ओर गूंज उठा ''या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता...''
मंगल कामनाओं का प्रतीक कलश स्थापना के साथ ही शक्ति की आराधना का नौ दिवसीय अनुष्ठान शारदीय नवरात्र गुरुवार से शुरू हो गया। अगले नौ दिनोंं तक श्रद्धालु अपने घरों में दुर्गा सप्तशती, दुर्गा सहस्त्र नाम, रामचरित मानस, सुंदरकांड, अर्गला, कवच, कील आदि का पाठ करेंगे। बेगूसराय के तीन सौ से अधिक मंदिरों और हजारों घरों में कलश स्थापना कर दुर्गा पाठ शुरू किया गया। इस अवसर पर कहीं दुर्गा सप्तशती का पाठ हो रहा तो कहीं रामायण पाठ की शुरूआत भी की गई। गांव से लेकर शहर तक का हर गली मोहल्ला ''या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता...'' सहित मां दुर्गा के मंत्रों से गुंजायमान हो उठा है। जिले के तमााम मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।
कलश स्थापना के साथ ही मां भगवती के प्रथम स्वरूप शांति और उत्साह देकर भय का नाश करने वाली मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की गई। पर्वतराज हिमालय की पुत्री माता शैलपुत्री का जन्म शैल-पत्थर से हुआ था, इसलिए मान्यता है कि नवरात्रि के दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से जीवन में स्थिरता आती है। पंडित आशुतोष झा ने बताया कि कलश के मुख में विष्णुजी का निवास, कंठ में महेश तथा मूल में ब्रह्मा स्थित हैं और कलश के मध्य में दैवीय मातृशक्तियां निवास करती है। इसलिए पूजन के दौरान कलश को देवी-देवता की शक्ति, तीर्थस्थान, मंगल कामना, सुख समृद्धि आदि का प्रतीक मानकर स्थापित किया गया है। इसके साथ उन्होंने बताया कि पर्वत हिमालयराज की पुत्री शैलपुत्री की आराधना करने वाले पर्वत के समान अडिग रहते हैं, उन्हें कोई हिला नहीं सकता है। मन में भी भगवान के लिए अडिग विश्वास हो तो मनुष्य किसी भी लक्ष्य तक पहुंच सकता है, इसलिए ही नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री मां की पूजा की जाती है। दूसरी ओर लोग सोशल मीडिया के माध्यम से नवरात्रि की बधाई दे रहे हैं। अपने संसदीय क्षेत्र के एक दिवसीय दौरे पर आए केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय के सांसद गिरिराज सिंह ने बधाई देते हुए प्रभु श्री राम एवं मां दुर्गा से देश और समाज के मंगल की कामना करते हुए बधाई दिया है।
नवरात्र के दूसरे दिन शुक्रवार को ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा की जाएगी, देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप ज्योर्तिमय है। यह मां दुर्गा की नौ शक्तियों में से दूसरी शक्ति हैं, तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा इनके अन्य नाम हैं। ''या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:'' का जप करते हुए इनकी पूजा करने से सभी काम पूरे होते हैं, रुकावटें दूर हो जाती है, विजय की प्राप्ति होती है और सभी तरह की परेशानियां भी खत्म होती हैं। देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। जीवन की कठिन समय मे भी मन कर्तव्य पथ से विचलित नहीं होता है। देवी अपने साधकों की मलिनता, दुर्गणों और दोषों को खत्म करती है तथा देवी की कृपा से सर्वत्र सिद्धि तथा विजय की प्राप्ति होती है। मां ब्रह्मचारिणी का स्वरुप भक्ति, तपस्या, ज्ञान संयम और दृढ़ संकल्पी होने की प्रेरणा देता है, अपनी अतृप्त इच्छाओं पर नियंत्रण करने की शक्ति मिलती है। ब्रह्मचारिणी की पूजा से इच्छित घर और वर की प्राप्ति हो सकती है, जीवन के बड़े लक्ष्यों की प्राप्ति होती है।