शारदीय नवरात्र : घर-घर घट स्थापना कर विराजी मां दुर्गा, भक्तों ने की मां शैलपुत्री की आराधना
प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चन करने को भक्तों का मंदिरों में माता के दर्शनों को लगा तांता
कानपुर, 07 अक्टूबर। शारदीय नवरात्र के पहले दिन विधि विधान के साथ मंदिर व घरों में माता की पूजा व आराधना की गई। घरों में माता की चौकी लगाकर कलश स्थापना व घट पूजन किया गया। मंदिरों में माता का श्रृंगार व महाआरती के साथ पूजा कर भक्तों के दर्शन के लिए पट खोल दिए गए। ज्योतिषाचार्य पंडित शिप्रा सचदेव ने बताया कि नवरात्र में माता का पूजन विधि-विधान से कर पूरी तरह से आस्था के साथ करने से भक्तों पर कृपा होती है।
ज्योतिषाचार्य पंडित शिप्रा सचदेव ने बताया कि नवरात्र के पहले दिन घट स्थापना की जाती है। इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। पर्वतराज हिमालय के घर में पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा। इनका वाहन वृषभ है इस लिए यह देवी वृषारूढ़ा के नाम से जानी जाती है इनकी उपासना से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है. शैलीपुत्री हिमालय की पुत्री है.इसलिए मां के इस स्वरूप को शैलपुत्री कहा जाता है. साथ ही आराधना से हम मनोवांछित फल प्राप्त कर सकते हैं. मां शैलपुत्री का प्रसन्न करने के लिए यह ध्यान मंत्र जपना चाहिए. इसके प्रभाव से माता जल्दी ही प्रसन्न होती हैं, और भक्त की सभी कामनाएं पूर्ण करती हैं.
7 अक्टूबर यानि आज से नवरात्रि पर्व की शुरुआत हो गई है. नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा के स्वरुप मां शैलपुत्री के पूजा-अर्चना होती है. शैलपुत्री पर्वत हिमालयराज की पुत्री हैं. शैल का मतबल होता है पर्वत. पर्वत अडिग है और उसे कोई हिला नहीं सकता.इसलिए मन में भी भगवान के लिए अडिग विश्वास होना चाहिए, तभी हम लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं. इसलिए ही नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री मां की पूजा की जाती है.और किस तरह करे पूजा विधि आइए जानते है .
मां शैलपुत्री की पूजा विधि
मां शैलपुत्री की तस्वीर स्थापित करें और उसके नीचे लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं। इसके ऊपर केशर से शं लिखें इसके बाद हाथ में लाल पुष्प लेकर शैलपुत्री देवी का ध्यान करें। और मंत्र बोलें।
मंत्र: ''ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम शैलपुत्री देव्यै नम:।''
मंत्र के साथ ही हाथ में पुष्प लेकर माता रानी की तस्वीर के ऊपर छोड दें।
इसके बाद भोग प्रसाद अर्पित करें और मां शैलपुत्री के मंत्र का जाप करें।
यह जप कम से कम 108 होना चाहिए।
मंत्र - ''ऊँ शं शैलपुत्री देव्यै: नम:।''
मंत्र संख्या पूर्ण होने के बाद मां के चरणों में अपनी मनोकामना को व्यक्त करके मां से प्रार्थना करें और श्रद्धा से आरती कीर्तन करें। इस मंत्र के करने से माता की विशेष कृपा भक्तों पर होती है।