अन्नदाताओं के बन्दी के आहृवान पर क्यों नहीं बन्द की व्यापिरीयों ने दुकानें ?: संयुक्त व्यापार मण्डल

अन्नदाताओं के बन्दी के आहृवान पर क्यों नहीं बन्द की व्यापिरीयों ने दुकानें ?: संयुक्त व्यापार मण्डल

अन्नदाताओं के बन्दी के आहृवान पर क्यों नहीं बन्द की व्यापिरीयों ने दुकानें ?: संयुक्त व्यापार मण्डल

संयुक्त व्यापार मण्डल ने सवाल किया की जब अन्नदाताओं ने बन्द का आहृवान किया तो उस वक़्त व्यापारीयों ने क्यों नहीं बन्द की अपनी दुकानें?
संयुक्त व्यापार मण्डल के महानगर अध्यक्ष मो०अस्करी ने शिक्षा अधिकरण को लेकर अधिवक्ताओं के आहृवान पर जहाँ बन्द का समर्थन किया वहीं  कथित व्यापार मण्डलों द्वारा किसानो द्वारा भारत बन्द को यह कर बन्दी को मना कर दिया की व्यापारी कोरोना महामारी के कारण भुखमरी से गुज़र रहे हैं।जब की अगर अन्नदाता अन्न नहीं उगा पाएगा तो आम जन क्या खाँएगे।केन्द्र व प्रदेश की हिटलरवादी सोच से सभी त्रस्त हैं छोटा व्यापारी सब से ज़्यादा इस सरकार मे उत्पीड़ित किया जा रहा है लेकिन उसकी आवाज़ को कोई नहीं सुन रहा।संयुक्त व्यापार मण्डल ऐसे ही छोटे व्यापारीयों के साथ है।अस्करी ने कहा बन्द का शहर मे मिला जुला असर रहा चौक,नखास कोहना,रौशन बाग,करैली,अटाला आदि क्षेत्रों मे अधिक्तर दुकानें  खुली रहीं सिर्फ सिविल लाइन्स मे पूर्ण बन्दी रही। मनोज वर्मा ने व्यापारीयों के दोहरे मापदण्ड अपनाने पर कहा बड़े उद्धोगपतियों के सहारे चलाए जा रहे व्यापार मण्डल के लोग ग़रीबो के लिए नहीं हैं यह सिर्फ भयवश  साथ हैं ।ज़ामिन हसन,रामबाबू जायसवाल,नितिन मिश्रा,विनोद हाण्डा,गिरीश चौधरी,इसरार हुसैन आदि व्यापारी नेतिओं ने अधिवक्ताओं के बन्द का समर्थन करते हुए किसानो के लिए लाए गए तीनो कृषि क़ानून को खत्म करने के लिए भी आगे आने की अपील की।