फरीदाबाद : परंपरा, विरासत और संस्कृति की त्रिवेणी है सूरजकुंड शिल्प मेला : नायब सैनी
फरीदाबाद : परंपरा, विरासत और संस्कृति की त्रिवेणी है सूरजकुंड शिल्प मेला : नायब सैनी
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सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय मेले के शुभारंभ अवसर पर पहुंचे मुख्यमंत्री
फरीदाबाद, 7 फरवरी (हि.स.)। 38वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले के शुभारंभ अवसर पर शुक्रवार काे फरीदाबाद पहुंचे हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा है कि सूरजकुंड और सूरजकुंड का यह अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला केवल हरियाणा की ही नहीं बल्कि पूरे देश की पहचान बन चुका है। यह मेला हमारी ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना को भी साकार करता है और शिल्प के साथ साथ हमारी संस्कृति को भी दुनिया के सामने रखने का अवसर देता है। उन्होंने इस मेले के आयोजन के लिए हरियाणा पर्यटन विभाग, केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय, वस्त्र, संस्कृति और विदेशी मामले मंत्रालयों और सूरजकुंड मेला प्राधिकरण के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले इस मेले में एक राज्य को थीम स्टेट और एक देश को भागीदारी देश बनाया जाता था। इस बार मेले को ‘शिल्प महाकुम्भ’ का आकार देने के लिए पहली बार मेले में दो राज्यों-ओडिशा और मध्यप्रदेश को थीम स्टेट बनाया गया है। सात देशों के संगठन बिम्सटेक को भी भागीदार बनाया गया है। बिम्सटेक में भारत, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड और श्रीलंका शामिल हैं। भले ही ये सात अलग-अलग देश हैं, लेकिन इनकी संस्कृति में समानता है और हम सबके हित एक-दूसरे से जुड़े हैं। इन देशों की शिल्पकला बहुत समृद्ध है। उन्होंने कहा कि हम सबके लिए यह गर्व की बात है कि इस समय प्रयागराज में भी आध्यात्मिक शिल्प के प्रतीक भारतीय संस्कृति, परंपरा और सभ्यता का महान पर्व ‘महाकुम्भ’ चल रहा है। इसमें लाखों साधु-संत अपने वर्षों के त्याग और तप से मानव समाज के कल्याण को समर्पित होते हैं। वहीं, दूसरी ओर इस अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले में सैकड़ों ऐसे शिल्पकार मौजूद हैं, जिन्होंने वर्षों के अथक प्रयास और साधना से अपनी शिल्प कला को निखारा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सूरजकुण्ड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला पिछले 37 वर्षों से शिल्पकारों और हथकरघा कारीगरों के लिए अपना हुनर प्रदर्शित करने का बेहतरीन मंच रहा है। यह मेला परंपरा, विरासत और संस्कृति की त्रिवेणी है, जो भारत के ही नहीं, बल्कि दुनिया-भर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। हरियाणा सरकार प्रदेश में शिल्पकला को बढ़ावा देने के लिए इसी तरह के मंच प्रदान कर रही है। इस शिल्प मेले के अलावा जिला स्तर पर सरस मेले लगाए जाते हैं, जिनमें शिल्पकारों और बुनकरों को अपनी शिल्पों का प्रदर्शन करने का अवसर मिलता है। कुरुक्षेत्र में हर साल अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के अवसर पर भी भव्य सरस मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें देशभर के शिल्पकार शामिल होते हैं। इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव पर भी सरस मेलों का आयोजन किया जाता है। उन्होंने कहा कि हमने माटी कला को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में ‘माटी कला बोर्ड‘ का गठन किया है। शिल्प मेले शिल्पकारों व कलाकारों की प्रतिभा को निखारने व उनके उत्पादों की बिक्री सीधे ही खरीददारों को बेचने का अवसर देते हैं। साथ ही ये पर्यटन को भी बढ़ावा देते हैं। नायब सिंह सैनी ने मेले में उपस्थित शिल्पियों से अनुरोध किया कि वे अपनी कला को और अधिक निखारने के लिए आधुनिक तकनीक का प्रयोग करें। यह आधुनिक तकनीक का ही कमाल है कि दूर-दराज में बैठा एक शिल्पी आज ऑनलाइन बिक्री प्लेटफार्म से अपने उत्पादों को दुनिया के किसी भी कोने में बेच सकता है। इसी तरह से हस्त उत्पादों की डिजाइनिंग में भी आधुनिक तकनीक का प्रयोग करें। समारोह में अतिथियों का स्वागत करते हुए हरियाणा के विरासत एवं पर्यटन मंत्री डॉ अरविंद शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा राष्ट्रीय एकता और कला संस्कृति को समृद्ध बनाने पर ज़ोर देते हैं और सूरजकुंड का यह मेला भारत की विविधता में एकता को दर्शाने और प्रधानमंत्री के सपनों को पूरा करने की दिशा में शानदार उदाहरण है। उन्होंने इस मेले के सफल आयोजन के लिए पर्यटन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की सराहना की। डॉ अरविंद शर्मा ने कहा कि इस शिल्प मेले के 2 थीम स्टेट उड़ीसा और मध्य प्रदेश हैं तथा बिम्स्टे क देशों ने पार्टनर देश के रूप में हिस्सा लिया है। इसके अलावा, 51 अतिरिक्त देश में इस मेले का हिस्सा बने हैं। उन्होंने कहा कि यह मेला विकसित भारत व आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने में भी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस मौके पर विधायक मूलचंद शर्मा, धनेश अदलखा, पर्यटन विभाग की प्रधान सचिव और सूरजकुंड मेला प्राधिकरण की उपाध्यक्ष श्रीमती कला रामचंद्रन सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।