महाकुंभ में रबड़ी वाले बाबा सफाईकर्मियों को खिला रहे रबड़ीमहाकुंभ में रबड़ी वाले बाबा सफाईकर्मियों को खिला रहे रबड़ी

महाकुंभ में रबड़ी वाले बाबा सफाईकर्मियों को खिला रहे रबड़ी

महाकुंभ में रबड़ी वाले बाबा सफाईकर्मियों को खिला रहे रबड़ीमहाकुंभ में रबड़ी वाले बाबा सफाईकर्मियों को खिला रहे रबड़ी

महाकुंभनगर, 12 जनवरी (हि.स.)। प्रयागराज में गंगा यमुना सरस्वती के संगम तट पर लगे महाकुंभ में इन दिनों सेवा व समरसता की सरिता बह रही है। महाकुंभ में उत्तर गुजरात से आये सिद्धपुर पाटन महाकाली बीड़ शक्तिपीठ के श्रीमहंत देव गिरि महाराज संतों,श्रद्धालुओं व सफाईकर्मियों को रबड़ी का प्रसाद खिला रहे हैं। ​मेला क्षेत्र में लोग उन्हें रबड़ी वाले बाबा के नाम से पहचानने लगे हैं।

रबड़ी वाले बाबा 120 लीटर दूध की प्रतिदिन रबड़ी बनाकर प्रसाद के रूप में बांटते हैं। अखाड़ा क्षेत्र में प्रवेश करते ही सड़क किनारे उनकी धूनी पर ही चढ़ी बड़ी कढ़ाई दिख जाती है। प्रमुख बात यह है कि इसके लिए उन्होंने रसोइया नहीं रखा है। देव​ गिरि महाराज धूनी रमाये साथ में रबड़ी भी तैयार करते रहते हैं। रबड़ी वाले बाबा प्रतिदिन दैनिक क्रिया व पूजा पाठ करने के बाद कढ़ाई सुबह चढ़ा देते हैं। उसके बाद पूरा दिन रबड़ी बनती रहती है और वह श्रद्धालुओं को रबड़ी खिलाते रहते हैं।

श्रीमहंत देव गिरि महाराज ने हिन्दुस्थान समाचार से कहा कि मानव सेवा सबसे बड़ा धर्म है। इसी सेवा भाव से हमने 2019 से रबड़ी बनाकर श्रद्धालुओं को वितरित करना शुरू किया। उन्होंने बताया कि हम श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी से जुड़े हुए हैं। दत्तात्रेय भगवान हमारे आरध्य हैं। हम रबड़ी बनाते हैं। इसी से दत्तात्रेय भगवान का भोग लग जाता है। वही ​हम संतों, श्रद्धालुओं को प्रसाद रूप में देते हैं। उन्होंने कहा कि मेला क्षेत्र में बड़ी संख्या में सफाईकर्मी दिनरात मेहनत करते हैं। इसलिए हमारी प्राथमिकता रहती है कि सफाईकर्मी व ऐसे श्रद्धालु जिन्हें भोजन प्रसाद नहीं मिला है वह यहां पर प्रसाद ग्रहण कर लें। श्री महंत देव गिरि कहते हैं कि मां भगवती की कृपा से यह सेवा कार्य हम कर पा रहे हैं। हम तो श्रद्धालुओं से यही कहेंगे कि कुंभ में आयें और संगम स्नान कर पुण्य कमायें।