छात्रा से रेप के आरोपित ट्यूटर की जमानत खारिज

छात्रा से रेप के आरोपित ट्यूटर की जमानत खारिज

छात्रा से रेप के आरोपित ट्यूटर की जमानत खारिज

-हाईकोर्ट ने कहा, शिक्षक ने छात्रा को ज्ञान व शिक्षा देने के बजाय वासना का शिकारी बन गया

प्रयागराज, 10 जनवरी (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टयूशन पढ़ने वाली छात्रा से रेप, अपहरण और धमकी के आरोपी ट्यूटर की जमानत याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि लोकतांत्रिक समाज में शिक्षक की भूमिका बहुमुखी होती है और ज्ञान के संचार से परे महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां होती हैं। शिक्षक लोकतांत्रिक राष्ट्र के भविष्य के नागरिकों को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

शिक्षक की जिम्मेदारियों का प्रभाव कक्षा से परे होता है, समाज के व्यापक ताने-बाने को प्रभावित करता है और लोकतंत्र की स्थिरता और जीवंतता में योगदान करता है। लेकिन इस मामले में शिक्षक शिक्षा और ज्ञान को छात्रा को सौंपने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को निभाने की बजाय छात्रा को अपनी वासना का शिकार बनाने वाला बन गया।

यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने गंधर्व कुमार उर्फ गौरव की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद दिया। याची के खिलाफ पीड़िता के पिता ने गाजियाबाद के साहिबाबाद थाने में आईपीसी की धारा 366 के तहत एफआईआर दर्ज कराकर आरोप लगाया है कि उसकी बेटी याची से ट्यूशन लेती थी। 25 अक्टूबर 2018 को दोपहर उसकी बेटी ट्यूशन क्लास के लिए गई थी, लेकिन वापस नहीं आई।

एफआईआर में यह भी आरोप लगाया गया कि याची भी उस दिन से लापता है और उसे लगता है कि याची उसकी बेटी को बहला-फुसलाकर ले गया है। पीड़िता के बयान के बाद मामले में धारा 376, 328, 342 और 506 भी जोड़ दी गई।

याची के वकील का तर्क था कि याची निर्दोष है और इस मामले में झूठा फंसाया गया है। पीड़िता और याची दोनों ही वयस्क हैं और सहमति से संबंध में थे। यह भी कहा कि दोनों ने शादी की और शादी को पंजीकृत भी किया है।

याची जिसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और वह 24 अगस्त 2024 से जेल में बंद है। उसे जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। सरकारी वकील ने जमानत की प्रार्थना का विरोध करते हुए पीड़िता के सीआरपीसी की धारा 161 और 164 के तहत बयानों पर जोर दिया, जहां पीड़िता ने याची के कृत्य का वर्णन किया है। यह भी कहा कि सीआरपीसी की धारा 161 और 164 के तहत पीड़िता के बयानों में कोई विरोधाभास नहीं है।

सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि पीड़िता ने अपने बयानों में याची के खिलाफ रेप का विशिष्ट आरोप लगाया है। यह भी लगता है कि पीड़िता के सीआरपीसी की धारा 161 और 164 के तहत बयानों में कोई विरोधाभास नहीं है इसलिए याची पर झूठे आरोप लगाने का कोई आधार नहीं बनता है। कोर्ट ने तथ्यों और परिस्थितियों, अपराध की गंभीरता, याची को भूमिका, पीड़िता के बयान और दंड की गंभीरता को देखते हुए, कहा कि जमानत पर रिहा करने के लिए कोई अच्छा आधार नहीं है। इसलिए जमानत याचिका खारिज की जाती है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस आदेश की टिप्पणी केवल जमानत के मुद्दे तक सीमित रहेगी।