मनुष्य ही नहीं देवता भी माघी पूर्णिमा पर करते हैं पवित्र नदियों में स्नान, जानिए माघी पूर्णिमा का शुभ मुर्हूत

मनुष्य ही नहीं देवता भी माघी पूर्णिमा पर करते हैं पवित्र नदियों में स्नान, जानिए माघी पूर्णिमा का शुभ मुर्हूत

मनुष्य ही नहीं देवता भी माघी पूर्णिमा पर करते हैं पवित्र नदियों में स्नान, जानिए माघी पूर्णिमा का शुभ मुर्हूत

महाकुम्भ नगर, 10 फरवरी, (हि.स.)। सनातन धर्म में माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है, कारण है कि इस दिन स्नान, तप-जप और दान से जातकों को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन गंगा व अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने का भी महत्व है, इससे साधक को आत्मिक शुद्धि की अनुभूति होती है। इसके अलावा, इस साल महाकुम्भ के दौरान माघ पूर्णिमा पर्व का महत्व बढ़ गया है। इस मौके पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु महाकुम्भ में संगम स्नान करेंगे।

प्रयागराज में संगम तट पर जो साधु-संत कल्पवास में रहते हैं, वो इस दिन अपना कल्पवास समाप्त करते हैं। कल्पवास में श्रद्धालु एक माह तक तपस्या, साधना और व्रत रखते हैं। प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर माघ मेले का आयोजन होता है और हजारों श्रद्धालु कल्पवास करते हैं। मान्यता है कि इस दिन देवता स्वयं पृथ्वी पर आकर गगा, यमुना, पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। बता दें, 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा है और इस दिन महाकुम्भ में स्नान का विशेष महत्व होगा।

माघ पूर्णिमा का धार्मिक महत्व : स्कंद पुराण, पद्म पुराण और महाभारत में माघ मास की महिमा का उल्लेख मिलता है। शास्त्रों में कहा गया है कि माघ मास में गंगा स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन विशेष रूप से प्रयागराज, वाराणसी, हरिद्वार और अन्य तीर्थस्थलों पर स्नान करने की परंपरा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माघ पूर्णिमा के दिन देवता स्वयं पृथ्वी पर आकर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। इस दिन स्नान करने वाले व्यक्ति को देवताओं का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

भगवान विष्णु करते हैं प्रयाग में निवास : यह माना जाता है कि स्वयं भगवान विष्णु माघ मास में त्रिवेणी संगम (प्रयागराज) में निवास करते हैं, इसलिए यहां स्नान का विशेष महत्व है। राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए गंगा को पृथ्वी पर अवतरित कराया था। इसलिए, माघ मास में स्नान से पितरों को भी तृप्ति मिलती है। इस दिन अन्न, वस्त्र, तिल, गुड़, कम्बल आदि का दान करने से अनेक गुना फल मिलता है। पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध करने की परंपरा भी माघ पूर्णिमा पर की जाती है।

माघ पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्व : माघ पूर्णिमा पर स्नान केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का एक दिव्य माध्यम है। इस दिन गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के जीवन में शांति, सुख और आध्यात्मिक उन्नति होती है। माघ मास को तपस्या और ध्यान के लिए उत्तम समय माना जाता है। ऋषि-मुनि इस महीने में विशेष साधनाएं करते हैं। पूर्णिमा तिथि चंद्रमा की ऊर्जा से भरपूर होती है, जिससे मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

माघ पूर्णिमा का शुभ मुर्हूत : पंडित अवधेश मिश्र शास्त्री के अनुसार, माघ पूर्णिमा स्‍नान का शुभ मुहूर्त पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि 11 फरवरी शाम 6 बजकर 55 मिनट से शुरू होगी और यह 12 फरवरी शाम 7 बजकर 22 मिनट तक होगी। हिंदू धर्म में उदया तिथि महत्वपूर्ण है। उदया तिथि के महत्व के कारण, माघ पूर्णिमा का पर्व अगले दिन यानि 12 फरवरी को मनाया जाएगा।

गंगा से दूर हैं तो पास की नदी में करें स्नान : पंडित अवधेश मिश्र बताते हैं, यदि आप गंगा नदी से कोसों दूर हैं, तो आप अपने आसपास की किसी भी नदी में जाकर स्नान कर सकते हैं। स्नान के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें और भगवान नारायण की विधिवत पूजा करें। अपनी सामर्थ्य के अनुसार अन्न, धन और वस्त्र का दान अवश्य करें। दान देना इस दिन का एक महत्वपूर्ण अंग माना गया है।

गंगा स्नान के लिए नहीं जा सकते तो करें यह उपाय : पंडित मिश्र आगे बताते हैं, कि यह संभव नहीं है, कि प्रत्येक भक्त गंगा स्नान करने प्रयागराज या किसी अन्य गंगा तट पर पहुंच सके। ऐसे में उन्हें घर पर ही गंगा स्नान का सौभाग्य प्राप्त हो सकता है। उन्होंने बताया, कि नहाने के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदों के साथ काला तिल डालकर मां गंगा का स्मरण करते हुए स्नान करने से भी गंगा स्नान का फल प्राप्त होता है। यह उपाय उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो किसी वजह से गंगा स्नान के लिए यात्रा नहीं कर सकते। माघ पूर्णिमा का दिन आत्म-शुद्धि, दान और ईश्वर के प्रति समर्पण का दिन है। इस दिन श्रद्धापूर्वक व्रत रखने और उचित विधि-विधान से पूजा करने से मनुष्य को पुण्य फल प्राप्त होता है, और उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।