कौशांबी तिहरे हत्याकांड में हटाए गए थानेदार और चौकी प्रभारी

कौशांबी तिहरे हत्याकांड में हटाए गए थानेदार और चौकी प्रभारी

कौशांबी, 01 अक्टूबर । चायल तहसील के मोहिनुद्दीनपुर तिहरे हत्याकांड में अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) ने जांच के संदीपन घाट के थाना प्रभारी, चौकी प्रभारी हर्रायपुर को पुलिस लाइन भेजा है। इस दौरान पुलिसकर्मियों के कार्यक्षेत्र में बदलाव किया है। इस कार्रवाई के पीछे पीड़ित परिवार का मुख्यमंत्री योगी से मुलाक़ात का असर बताया जा रहा है।



संदीपन घाट के मोहिनुद्दीनपुर गांव में रहने वाले होरीलाल, बेटी बृजकली और दामाद शिवशरण की हत्या 15 सितम्बर को गोली मारकर कर दी गई थी। इस हत्याकांड में शामिल गांव के पीएसी जवान सहित 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। हत्याकांड को लेकर हुए हुए बवाल और आगजनी में पुलिस समेत राजस्व कर्मियों अफसरों पर लापरवाही का आरोप लगा। पिछले 15 दिन से जारी कार्यवाही में अब तक राजस्व विभाग के तीन लेखपाल, एक चकबंदीकर्ता, एसीओ चकबंदी एवं सीओ चकबंदी पर कार्रवाई हुई है। इस हत्याकांड में 15 दिन बाद पुलिस के लापरवाह थाना प्रभारी संदीपन घाट दिलीप सिंह व चौकी प्रभारी हर्रायपुर अनुराग सिंह को पुलिस लाइन भेजा गया है।



पुलिस अधीक्षक बृजेश श्रीवास्तव की ओर से जारी पत्र के अनुसार आठ पुलिस कर्मियों को इधर से उधर किया है। वहीं, भुवनेश चौबे को संदीपन घाट के नया थाना की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इससे पहले वे एसपी के पीआरओ थे। सैनी थाना प्रभारी को भी हटा दिया गया है। इसकी वजह यह है कि बिना पर्याप्त पुलिस बल लिए दूसरे थाना क्षेत्र में बदमाशों को पकड़ने के लिए थाना प्रभारी ने दबिश दी।

गांव वालों के हमले के बाद पुलिस कर्मियों को जान बचाने के लाले पड़ गए थे। इतना ही नहीं, एसआई भुवनेश चौबे पर सराय अकिल थाना प्रभारी रहते हुए अपने थाना क्षेत्र में मिली लाश को सरकारी जीप से ले जाकर दूसरे थाना क्षेत्र में फेंकने का आरोप लग चुका है, जिसके लिए उन्हें थानेदारी गंवा कर कई महीनों तक एसपी का पीआरओ बन कर रहना पड़ा।



तिहरे हत्याकांड में 15 दिन के बाद हुई पुलिस के थानेदार एवं चौकी प्रभारी पर कार्यवाही के अलग मायने निकाले जा रहे हैं। लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजीव पासवान एवं सांसद विनोद सोनकर ने लखनऊ में 30 सितम्बर को पीड़ित परिवार की मुलाक़ात मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी से कराई और घटना क्रम से अवगत कराया था। राजनैतिक दलों में इस मुलाक़ात को अफसर पर बने दबाव के तौर पर कार्यवाही के रूप में देखा जा रहा है।