पितृ विसर्जनी अमावस्या 25 को, श्राद्ध व तर्पण का अंतिम दिवस

पितृ विसर्जनी अमावस्या 25 को, श्राद्ध व तर्पण का अंतिम दिवस

पितृ विसर्जनी अमावस्या 25 सितम्बर को है। इस तिथि में अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध व तर्पण करने का विधान है। यह पुनीत तिथि मानी जाती है। इस तिथि में लखनऊ के झूलेलाल गोमती तट पर वृहद स्तर पर दीपदान का आयोजन किया जाएगा।

धार्मिक मान्यता के अनुसार वैसे प्रत्येक माह की अमावस्या तिथि को तर्पण आदि करने की परम्परा है लेकिन आश्विन मास में कृष्ण पक्ष में पितृपक्ष की अमावस्या को श्राद्ध-तर्पण आदि कर्मों के लिए बड़ा पवित्र माना गया हैं । पंडितों के अनुसार दिवंगत हुए ज्ञात-अज्ञात सभी पूर्वजों का श्राद्ध इस तिथि में किया जा सकता हैं । जिन पितरों की मृत्यु तिथि न मालूम हो या पितृपक्ष में उनके निमित्त श्राद्ध-तर्पण न कर पाए हो, उनका श्राद्ध इस अमावस्या को कर देना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं, और श्राद्ध न करने पर शाप भी दे देते हैं, जिससे व्यक्ति की कुण्डली पितृदोष भी उत्पन्न हो जाता है। सुखी जीवन में बाधाएं आ जाती है। बताया गया है कि इस तिथि में शाम को दीपदान भी करना श्रेयकर माना जाता है।

लखनपुरी के झूलेलाल गोमती तट पर इस तिथि में शाम को वृहद स्तर पर पितृ तर्पण व दीपदान का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसमें देश पर अपने आप को बलिदान करने वाले वीर सैनिकों अमर क्रांतिकारियों व कश्मीर में कत्ल कर दिए गये लोगों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण व दीपदान किया जाएगा। कार्यक्रम का आयोजन दंडी स्वामी राम आश्रम के दिशा-निर्देश में किया जाएगा।