चराचर जगत के कल्याण की बात करने वाले व्यक्ति जीवन में स्वयं बैरियर न बनें : योगी
आस्था के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के निवारण का उपाय करना होगा : योगी आदित्यनाथ
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-10 वर्ष पहले गंगा अविरल व निर्मल नहीं थी
महाकुम्भनगर,16 फरवरी (हि.स.)। तीर्थराज प्रयाग में रविवार को'कुम्भ की आस्था और जलवायु परिवर्तन सम्मेलन' को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आस्था के साथ-साथ हमें जलवायु परिवर्तन के कारकों पर विचार करते हुए उसके निवारण का उपाय करना होगा।
उन्होंने कहा कि जीव-जंतु सभी का जीवन चक्र मनुष्य के साथ जुड़ा हुआ है। अगर जीव-जंतुओं के जीवन पर संकट आयेगा तो हमारे जीवन पर भी संकट आयेगा। इसलिए हम प्रलय की प्रतीक्षा न करें और जीव सृष्टि व जंतु सृष्टि को बचायें, तभी मनुष्य सृष्टि बचेगी।
चराचर जगत के कल्याण की बात करने वाले व्यक्ति जीवन में स्वयं बैरियर न बनें : योगी
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि हम चराचर जगत के कल्याण की बात करते हैं,लेकिन व्यक्तिगत जीवन में स्वयं बैरियर बनकर खड़े हो जाते हैं। हर व्यक्ति दोषारोपण कर रहा है, लेकिन जलवायु परिवर्तन के बारे में चिंतन में सहभागी नहीं बन रहा है। हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम कैसे भागीदार बन सकते हैं। नदियों पर अतिक्रमण को रोक पायेंगे? भारत की नदियां सूख जाएंगी तो क्या होगा? नदियों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, जंगलों में पेड़ों को काटकर कोयला बनाया जा रहा है, जो जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 10 वर्ष पहले गंगा अविरल व निर्मल नहीं थी। उत्तर प्रदेश में नदियों को पुनर्जीवित करने का काम किया गया। हम लोगों ने इलेक्ट्रिक बसों को बढ़ावा दिया है। इस बार महाकुम्भ में हर रोज भारी भीड़ हो रही है।"
उन्होंने कहा कि प्रयागराज में गंगा जल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित कराई गयी। यहां पर 33 दिनों में 52 करोड़ त्रिवेणी में स्नान कर चुके हैं। यहां आज अविरल जल है। त्रिवेणी में जो भी डुबकी लगा रहा है, वह आध्यात्मिक ऊर्जा का स्वयं अनुभव कर रहा है। कुम्भ दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन बन गया है।
उन्होंने कहा कि वेदों का संदेश है उसको दैनिक जीवन में उतारें। 'एक पेड़ मां के नाम एक पेड़ आस्था के नाम' लगाएं। उत्तर प्रदेश में पिछले 08 वर्षों के अंदर हमारी सरकार ने 210 करोड़ वृक्षारोपण किया। इनमें वन विभाग के द्वारा किए गए लगभग 80 प्रतिशत पौधे सुरक्षित हैं। जो विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से वृक्षारोपण कराए गए, उनमें लगभग 70 प्रतिशत सुरक्षित हैं। कुम्भ के संदेश को घर-घर पहुंचायें। प्रयागराज की धरा पर सभ्यता व संस्कृति फलती फूलती रहेगी।
इस अवसर पर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती,परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि,प्रदेश सरकार के वन मंत्री डा.अरूण कुमार सक्सेना,वन राज्यमंत्री के.पी.मलिक व मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।