प्लास्टिक के दुष्परिणामों को देखते हुए उसका न्यूनतम प्रयोग करें : प्रो. आर एस वर्मा 

प्लास्टिक के दुष्परिणामों को देखते हुए उसका न्यूनतम प्रयोग करें : प्रो. आर एस वर्मा 

प्लास्टिक के दुष्परिणामों को देखते हुए उसका न्यूनतम प्रयोग करें : प्रो. आर एस वर्मा 

-हमें 'पाप करते जाओ, पुण्य ख़रीद लिए जाएंगे' इस प्रवृत्ति से बचना होगा : स्वामी वागीश-"सस्टेनेबल डेवलपमेंट से ही हम बनाए रख सकते हैं विकास

महाकुम्भ नगर, 05 फ़रवरी (हि.स.)। हरित महाकुंभ-2081 में बुधवार को एमएनएनआईटी के डायरेक्टर प्रो.आर एस वर्मा ने प्रेजे़ंटेशन के ज़रिए पर्यावरण के प्रति सजग किया। उन्होंने कहा कि "सस्टेनेबल डेवलपमेंट से ही हम डेवलपमेंट रिटेन कर सकते हैं।" प्रो. वर्मा ने प्लास्टिक के दुष्परिणामों का ज़िक्र करते हुए उसके न्यूनतम प्रयोग पर बल‌ दिया और भारतीय परंपरा की पर्यावरण के प्रति सजगता का बखान किया।

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने हरित महाकुंभ की प्रस्तावना एवं संकल्पना को सभी के साथ साझा किया। डॉ कोठारी ने कहा कि "पर्यावरण की इस हालत के लिए सिर्फ़ हम ज़िम्मेदार हैं और इसके दुष्परिणाम से हमें और कोई नहीं बल्कि हम खुद ही स्वयं को बचा सकते हैं।"

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि लाल महेन्द्र शिव शक्ति सेवा समिति से परम् पूज्य प्रभु जी ने हमारे इस कार्यक्रम को देश ही नहीं संसार के लिए अमृत के समान बताया। उन्होंने आगे कहा- "मन, घर और पर्यावरण- इन तीन चीजों की स्वच्छता सांसारिक प्रतिक्रियाओं का निर्धारण करती हैं।

हरित से हरि को पाया जा सकता है

गोपाल आर्या ने पर्यावरण को हमारी मातृभाषा हिंदी की समृद्धि से जोड़ते हुए कहा कि "हरित से हरि को पाया जा सकता है और ग्रीन अंग्रेज़ी शब्द ग्रीड का पर्याय सा लगता है।"

डॉ. प्रसन्ना मूर्ति ने प्रेज़ेंटेशन के ज़रिए भारतीय परंपराओं का ज़िक्र किया। प्राचीन भारत के प्रचुर और अपने आप में बेहद समृद्ध काल से जुड़ी बातों से सभी से रूबरू कराया। डॉ. प्रसन्ना ने स्वास्थ्य, शिक्षा क्षेत्र में हमारे भारत की आच्छादित स्थिति के बारे में बताया।

हमें 'पाप करते जाओ, पुण्य ख़रीद लिए जाएंगे' इस प्रवृत्ति से बचना होगा

स्वामी वागीश ने कहा कि "हिंदू समाज में पर्यावरण संरक्षण की अद्भुत परंपरा रही है, हमने सदा ही नदियों-पेड़-पौधों को पूजा है, परंतु आज इस परंपरा में दरार पड़ चुकी है। हमें 'पाप करते जाओ, पुण्य ख़रीद लिए जाएंगे', इस प्रवृत्ति से बचना होगा।"

नार्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. पी. एस. शुक्ला ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि "एनर्जी व शक्ति कभी समाप्त नहीं हो सकती। गीता में भगवान श्री कृष्ण के उपदेश की शक्ति आज तक दुनिया को ऊर्जावान बनाए हुए है। हमें इस धरती, मानवता और सकारात्मकता के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए प्रदूषण से लड़ना और जीतना होगा। छोटे-छोटे प्रयास मिलकर एक स्वच्छ पर्यावरण की ओर सफलता रूपी घड़े को भरने में बेहद सहायक होंगे।"

प्रो. शुक्ला ने हिंदू धर्म की अंतिम संस्कार की प्रक्रिया का ज़िक्र करते हुए कहा कि "हमारे समाज में जिस जगह दाह संस्कार किया जाता है, तत्पश्चात उस जगह को साफ़ कर एक तुलसी का पौधा लगाया जाता है, आखिर पर्यावरण संरक्षण का इससे अच्छा उदाहरण क्या हो सकता है!" 'न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते' अर्थात् इस दुनिया में ज्ञान के समान पवित्र और कुछ नहीं है। श्रीमद्भगवद् गीता में दर्ज इस पंक्ति की सार्थकता को व्यापक रूप देने के लिए प्रयागराज के महाकुम्भ में 'शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास' की ओर से 10 जनवरी से 10 फरवरी के बीच 'ज्ञान महाकुंभ' का आयोजन चल रहा है।

उन्होंने कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं कि वैश्विक तापमान में प्रतिकूल वृद्धि, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के असंतुलन जैसी पर्यावरण संबंधी समस्याएं मानवता के समक्ष गंभीर चुनौती प्रस्तुत कर रही हैं। ऐसे में यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि हमारे जीवनदाता पर्यावरण पर भी विचार-विमर्श किया जाए। इसी क्रम में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास और पर्यावरण संरक्षण गतिविधि, गङ्गानाथ झा परिसर (प्रयागराज), केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, के संयुक्त तत्वावधान में हरित महाकुंभ- 2081 का दो दिवसीय (5 और 6 फरवरी) आयोजन चल रहा है।