ज्योतिष विद्या गलत नहीं, ज्योतिषी गलत हो सकते हैं : ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश तिवारी
ज्योतिष विद्या गलत नहीं, ज्योतिषी गलत हो सकते हैं : ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश तिवारी
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महाकुम्भ नगर, 1 फरवरी (हि.स.)। ज्योतिष सेवा संस्थान, अयोध्याजी के प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश तिवारी पिछले कई वर्षों से ‘श्री अयोध्या ज्योतिष रत्नाकर पंचांग’ का प्रकाशन कर रहे हैं। पंडित राकेश तिवारी ने पंचांग की जटिल गणनाओं की व्याख्या सरल तरीके से की है, जिससे आमजन में पंचांग की स्वीकार्यता बढ़ी है। राकेश तिवारी जी से बातचीत के दौरान बॉलीवुड में ज्योतिष और ज्योतिषियों का उपहास उड़ाने, चंद लोगों द्वारा ज्योतिष को व्यापार बना लेने की पीड़ा झलकती है। स्वयं ज्योतिषाचार्य होने के बावजूद वह ज्योतिष के क्षेत्र में पनपी बुराईयों पर बोलने से तनिक भी परहेज नहीं करते। हिन्दुस्थान समाचार के लिये डॉ. आशीष वशिष्ठ ने कुम्भ, ज्योति, धर्म और अध्यात्म आदि विषयों पर पंडित राकेश तिवारी से बातचीत की। प्रस्तुत है उस बातचीत का महत्वपूर्ण अंश....
प्रश्न : कुम्भ और ज्योतिष का क्या सम्बन्ध है?उत्तर : पूरे विश्व का मानचित्र ज्योतिष पर आधारित है। पूरा विश्व ज्योतिष के अधीन है। वेदांग के ज्योतिष को नेत्र कहा गया है। नेत्र के बिना आप देख नहीं सकते। संस्कृत में ज्योतिष का शाब्दिक अर्थ है “प्रकाश का विज्ञान।“ ज्योति मायने प्रकाश। जो प्रकाश है वही ज्योतिष है। संसार को देखने के लिये ज्योति की आवश्यकता है। कुम्भ और ज्योतिष का बहुत गहरा सम्बन्ध है। जब बृहस्पति ग्रह वृषभ राशि में होते हैं और उसी समय सूर्य राशि मकर राशि में गोचर करते हैं तो महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में किया जाता है। हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन तब होता है जब बृहस्पति ग्रह कुंभ राशि में होते हैं और सूर्य ग्रह मेष राशि में गोचर करते हैं। कुंभ मेला उज्जैन में तब मनाया जाता है, जब बृहस्पति सिंह राशि में प्रवेश करे और सूर्य मेष राशि में प्रवेश कर रहा हो। जब बृहस्पति और सूर्य का सिंह राशि में प्रवेश हो तो, यह महान कुंभ मेला महाराष्ट्र के नासिक में मनाया जाता है।
प्रश्न : पिछले कुछ वर्षों में ज्योतिष व्यवसाय बन गया है। जिससे ज्योतिष और ज्योतिषाचार्यों का सम्मान कम हुआ है, इस पर आपकी क्या राय है?उत्तर : इसके भी दो पक्ष हैं एक अध्यात्म है, एक व्यापार है। उनका स्वरूप बदल गया है। ज्योतिष को लोग व्यापार बना लिये हैं। और सबसे ज्यादा नुकसान किया तो कम्प्यूटर और टीवी ने किया। अगर टीवी पर पण्डित या कोई ज्ञानी इंटरव्यू देकर आता है तो उसका सम्मान करते हैं। पैसा है तो चैनल खरीद लो। सबका अपना चैनल बन गया है। ये तो जातक को चाहिये कि आपको व्यापारी चाहिये या आपको विद्धान चाहिये। विद्धान की खोज करनी पड़ेगी और व्यापारी आपको स्वयं खोजेगा। असल में लोगों ने ज्योतिष को व्यापार बना दिया है। उससे ज्योतिष की महिमा और गरिमा कम हो गई है।
प्रश्न : कुछ ज्योतिष ग्रह दशा ठीक करने के लिये मंहगे उपाय बताते हैं, उपाय कितने शास्त्र सम्मत हैं, या फिर ये भी व्यापार का हिस्सा है?उत्तर : शास्त्र में सबसे बड़ा उपाय है ग्रहों की पूजा कीजिये, वो भी स्वयं किया जाय। स्वयं नहीं कर सकते हैं तो आप किसी विद्वान से उपाय करवाइये। जो जप है, वो समर्पण है। ग्रह बदलता नहीं है। ग्रह किसी भी स्थिति में बदला नहीं जा सकता। तो जब बदला नहीं जा सकता तो शत्रु के आगे सिर रख दीजिए ‘सरेंडर’ हो जाइये, समर्पण हो जाइये, तो वो आपको माफ कर देगा। इसलिये हम सरेंडर करते हैं, यही हमारी पूजा है। यह भी कहा गया है कि मंत्र के बस में भगवान है, लेकिन मंत्र तभी फलित होगा जब जपने वाले का व्यवहार, आचरण और विचार शुद्ध हागा। ग्रहों की पूजा के लिये दान का भी उपाय बताया गया है। लेकिन दान सुपात्र को देना चाहिये। कुपात्र को दान देने से अहित होगा।
प्रश्न : आजकल ज्योतिषी ग्रह ठीक करने और बिगड़े कामों को बनाने के लिये रत्न पहनने का उपाय बताते हैं, ये कहां तक शास्त्र सम्मत है?उत्तर : ये आजकल बहुत चल रहा है। क्योंकि इसमें सब कुछ कमीश नही है। रत्न आदमी का चेहरा देखकर मिलता है। आदमी के हिसाब से रत्न की कीमत भी तय होती है। जो रत्न किसी के लिये पांच सौ रुपये का है, वहीं रत्न किसी पांच हजार में मिलेगा। रत्न सब एक ही हैं। रत्न को लोगों ने व्यापार बना लिया है। ज्योतिष को व्यापार नहीं बनाना चाहिये। ज्योतिष अध्यात्म की विधा है। ज्योतिष मार्गदर्शन देने वाला है।
प्रश्न : टीवी चैनलों पर ज्योतिष से जुड़े कई कार्यक्रम प्रसारित होते हैं, इसको आप किस तरह देखते हैं?उत्तर : टीवी चैनल अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिये ज्योतिषों को कार्यक्रमों के बैठाते हैं। टीआरपी के लिये ज्योतिषी भी जो चाहे बोल देते हैं। हर दो साल में एक नया ज्योतिषी टीवी पर छा जाता है। उसका इतना महिमामण्डन होता है कि जैसे उन जैसा कोई दूसरा है ही नहीं। दो साल बाद वो स्क्रीन से पूरी तरह गायब हो जाता है। टीवी पर ज्योतिषों के आने से ज्योतिष विधा के प्रति भ्रम की स्थिति पैदा हुई है। सुबह से लेकर शाम तक इतने उपाय और मुर्हूत बता दिये जाते हैं कि आम आदमी भ्रमित हो जाता है कि क्या ठीक है, या क्या गलत है। एक समय के बाद ज्योतिष का प्रभाव क्षीण होगा। ज्योतिषी भी उपहास का पात्र बनेंगे..... बन ही रहे हैं। तमाम बाबा हैं, टीवी पर उलटा सीध बोलते हैं कि चर्चित हो जाएं। ऐसे शब्द बोल दे कि उनके पास मीडिया दौड़ने लगे। ज्योतिषाचार्यों को इस प्रवृत्ति से बचना चाहिये। ज्योतिष विधा गलत नहीं है, ज्योतिषी गलत हो सकते हैं। ज्योतिष वेद का अंग है।
प्रश्न : बॉलीवुड की फिल्मों में पण्डित और ज्योतिषी का चरित्र चित्रण उनकी गरिमा के अनुरुप नहीं दिखाया जाता, इस पर आप क्या राय है?उत्तर : बॉलीवुड में सनातन धर्म की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाली कई फिल्में बन चुकी हैं, और बन रही हैं। बताइये.... एक भी फिल्म इस्लाम धर्म पर बनी है? बॉलीवुड वाले कभी हमारे अराध्य हनुमान जी, कभी मां सीता तो कभी किसी हिन्दू देवी देवता का उपहास उड़ाते हुये दिखाते हैं। सनातन धर्म पर बॉलीवुड की फिल्मों ने लगातार गहरा आघात किया है। और ये आज भी जारी है। फिल्मों में पंडित और ज्योतिषी की जो छवि दिखाई गयी, उससे समाज में ज्योतिष और ज्योतिषीयों की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची। लोगों के बीच बॉलीवुड की फिल्मों से यह संदेश गया कि ज्योतिष कोई शास्त्र नहीं, बल्कि मनगढ़ंत विधा है। यद्यपि सत्य कुछ और है। सिनेमा वालों को कुछ रोचक दिखाना होता है।
प्रश्न : संगम की पवित्र भूमि से देशवासियों का क्या संदेश आप देना चाहेंगे?उत्तर : आयोजन में प्रयोजन नहीं होना चाहिये। आज हमारे जितने धार्मिक आयोजन हो रहे हैं, उसमें कहीं न कहीं प्रयोजन छिपा रहता है। इससे हमारी संस्कृति को हानि पहुंचती है। हम अपनी संस्कृति को मजबूत करें। संस्कृति को मजबूत करने के लिये संस्कारों को मजबूत करना होगा। और संस्कारों को मजबूत करने के लिये गुरुकुल परम्परा को मजबूत करने की जरूरत है। कुम्भ में ज्ञान, भक्ति और कर्म इन तीनों का समन्वय यहां होता है। कुम्भ में आकर सनातनधर्मियों विशेषकर युवाओं को हिन्दू संस्कृति की भव्यता और विविधता को नजदीक से देखना और समझना चाहिये।