अब लखनऊ प्राणि उद्यान में देखने को नहीं मिलेगा सबका चहेता 'किशन'
‘किशन‘ ने शुक्रवार को ली अंतिम सांस, कैसर से था पीड़ित
लखनऊ, 31 दिसम्बर । लखनऊ स्थित वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान में कैंसर से ग्रसित नर बाघ किशन ने शुक्रवार को अन्तिम सांस ली। यह जानकारी प्राणि उद्यान के निदेशक वी.के. मिश्र ने दी।
उन्होंने बताया कि इस नर बाघ को 01 मार्च, 2009 में किशनपुर टाइगर रिजर्व, कांपटाडा, दुधवा नेषनल पार्क से रेस्क्यू करके लखनऊ के प्राणिउद्यान लाया गया था। यह बाघ वर्ष 2008 से स्थानीय लोगों के जीवन के लिये खतरा बन गया था। कई माह के अथक प्रयासों के उपरान्त बाघ किशन को वन विभाग की टीम ने उसे रेस्क्यू किया गया था। प्राणि उद्यान लखनऊ लाने के पश्चात इसका स्वास्थ्य परीक्षण किया गया, तब पता चला था कि यह बाघ हिमेन्जियोसार्कोनोमा नामक कैंसर से पीड़ित है, कैंसर बाघ के कान तथा मुँह के पास फैला हुआ था, जिसके कारण यह सामान्य रूप से वन्य जीवों का शिकार करने में पूर्णतः सक्षम नही था, इसी कारण यह स्थानीय लोगों के जीवन के लिये खतरा भी बन गया था।
निदेशक ने बताया कि 13 वर्षो से ज्यादा समय से किशन प्राणि उद्यान लखनऊ में रह रहा। इसकी लगातार चिकित्सा की जा रही थी। समय के साथ आयु के बढ़ने तथा कैंसर से पीड़ित होने के उपरान्त भी किशन एक सामान्य बाघ की तरह से व्यवहार करता रहा। अपने अन्तिम कुछ दिनों में किशन ने सामान्य रूप से भोजन गृहण करना छोड़ दिया था और उसने घूमना-फिरना भी कम कर दिया था। 13 वर्ष के बाद कैंसर के चलते शुुक्रवार को किशन की मृत्यु हो गई।
प्राणि उद्यान के निदेशक ने बताया कि बाघिन कजरी वर्तमान में भोजन ग्रहण कर रही है परन्तु बेहद वृद्ध होने के कारण कजरी के स्वास्थ्य की स्थिति भी चिन्ताजनक बनी हुई है। इसके ठण्ड से बचाव हेतु हीटर आदि का प्रबन्ध भी किया गया है।