महाकुम्भ : समाज और संस्कृति के मूल्यों को समझने का अद्वितीय अवसर : स्वामी चिदानंद

महाकुम्भ सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण : स्वामी चिदानंद

महाकुम्भ : समाज और संस्कृति के मूल्यों को समझने का अद्वितीय अवसर : स्वामी चिदानंद

प्रयागराज, 21 फरवरी (हि.स.)। महाकुम्भ में यूनाइटेड ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस द्वारा शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का उद्घाटन परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती, डॉ. साध्वी भगवती सरस्वती और अन्य विशिष्ट विभूतियों ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस ऐतिहासिक अवसर पर सभी विभूतियों ने महाकुम्भ के महत्व और उसकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धारा पर विचार व्यक्त किए।

सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि के रूप में स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि महाकुम्भ एक ऐसा वैश्विक धार्मिक आयोजन है, जिसका महत्व केवल भारत में नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में है। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक रूप से, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

महाकुम्भ : समाज और संस्कृति के मूल्यों, जड़ों और मूल को समझने का अद्वितीय अवसर : स्वामी चिदानंद

इस सम्मेलन का उद्देश्य महाकुम्भ के विभिन्न पहलुओं पर शोध कार्य एवं विश्लेषण प्रस्तुत करना है, ताकि महाकुम्भ की महत्ता को और उत्कृष्ट रूप से समझा जा सके। साथ ही, यह सम्मेलन समाज और संस्कृति के मूल्यों, जड़ों और मूल को समझने का एक अद्वितीय अवसर छात्रों को प्रदान कर रहा है। महाकुम्भ, जो एक प्राचीन और आध्यात्मिक धरोहर है, आज भी श्रद्धालुओं को शुद्धता, ध्यान, साधना और आत्मिक शांति की ओर बढ़ाने का उत्कृष्ट कार्य कर रहा है।

सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य महाकुम्भ के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धारा पर गहन विचार विमर्श करना है। साथ ही शोधकर्ताओं, विद्वानों और छात्रों को एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करना है, जहां वे महाकुम्भ के विविध पहलुओं पर अपने शोधपत्र प्रस्तुत कर सकते हैं।

महाकुम्भ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, जीवन की यह एक दिव्य यात्रा है

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि महाकुम्भ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह जीवन के हर क्षेत्र में ध्यान, साधना और आत्मनिर्भरता की ओर प्रेरित करने वाली एक दिव्य यात्रा है। युवा पीढ़ी को अपने भीतर की आध्यात्मिक शक्ति को पहचानते हुए सनातन संस्कृति से जुड़ने का एक अवसर प्रदान करता है ताकि वे अपने जीवन को सही दिशा दे सकें।

सनातन धर्म की गहरी धारा को व्यक्त करता है महाकुम्भ

डॉ. साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि महाकुम्भ हमारे सनातन धर्म की गहरी धारा को व्यक्त करता है। युवा वर्ग को इस अद्भुत अवसर का सदुपयोग करते हुए समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिये एक-दूसरे को प्रेरित करें ताकि वे न केवल अपनी आत्मा को शुद्ध करें, बल्कि समाज को भी ऊँचा उठाएं।

यूनाइटेड ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के प्रधानाचार्य, डॉ. देवेंद्र कुमार तिवारी ने कहा कि इस सम्मेलन के माध्यम से हम महाकुम्भ की महत्वपूर्ण धरोहर को संरक्षित करने और इसे भविष्य की पीढ़ी के साथ साझा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।