प्रदेश के कई जिलों में एक भी रेडियोलॉजिस्ट की नियुक्ति न होना दुर्भाग्यपूर्ण : हाईकोर्ट
-हाईकोर्ट ने हर जिलों में रेडियोलॉजिस्ट नियुक्त करने का दिया निर्देश

प्रयागराज, 22 अप्रैल (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि कोई भी डाक्टर पीड़ित पक्ष का रेडियोलाजिकल परीक्षण करने से यह कहकर इंकार नहीं कर सकता कि उसके क्षेत्राधिकार का मामला नहीं है। वह जाति व लिंग के आधार पर भी परीक्षण से इंकार नहीं कर सकता।
कोर्ट ने प्रदेश के एक जिले में 78 व कई जिलों में एक भी रेडियोलाजिस्ट की नियुक्ति न होने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है और प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण उप्र को हर जिले में रेडियोलॉजिस्ट की आवश्यकता अनुसार तैनाती करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने साफ कहा है कि सीएमओ पद के अलावा किसी भी रेडियोलॉजिस्ट को प्रशासनिक कार्य में न लगाया जाय। और एक से चतुर्थ लेवल तक डाक्टरों की पदोन्नति किया जाय ताकि डाक्टरों की कमी न हो।
यह आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकलपीठ ने प्रकाश कुमार गुप्ता की जमानत अर्जी की सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट पहले ही याची की जमानत मंजूर कर चुकी है।
कोर्ट ने बच्चों को सेक्सुअल हिंसा से सुरक्षा के लिए बने पाक्सो एक्ट व न्यायिक प्रक्रिया के दुरूपयोग पर नाराजगी जताई है। बालिग को एफआईआर में नाबालिग बताकर याची जिसने अपनी मर्ज़ी से पीड़िता से शादी की थी, को छह महीने जेल में रहना पड़ा। पीड़िता के परिवार ने आयु 13 वर्ष लिखाई, जब आसीफिकेशन रिपोर्ट आई तो पता चला पीड़िता 19 साल की है। उसने कोर्ट में बयान दिया कि वह अपने ससुराल में पति के साथ रहना चाहती है।
कोर्ट ने सीएमओ बलिया को पीड़िता की आयु की जांच करने का आदेश दिया। तलब होने पर बताया कि इस समय बलिया में कोई रेडियोलॉजिस्ट तैनात नहीं है। अपर निदेशक स्वास्थ्य आजमगढ़ के आदेश पर पीड़िता को जांच के लिए वाराणसी ले जाया गया तो वहां से उसे वापस कर दिया कि वहां के लिए आदेश नहीं है। आदेश सीएमओ बलिया के लिए है। इसके बाद अतरौलिया, आजमगढ़ में पीड़िता की जांच की गई और सही आयु का पता चला कि वह घटना के समय बालिग थी।
कोर्ट ने सीएमओ वाराणसी को तलब किया तो कहा कि पीड़िता वाराणसी कबीर चौरा अस्पताल लाई ही नहीं गई। इसलिए जांच से इंकार का प्रश्न ही नहीं उठता। कबीर चौरा के रेडियोलॉजिस्ट ने भी यही दुहराया।
कोर्ट ने महानिदेशक स्वास्थ्य से प्रदेश में रेडियोलॉजिस्ट की संख्या सहित तैनाती की जानकारी मांगी। उन्होंने गोलमोल जवाब दिया तो प्रमुख सचिव से हलफनामा मांगा गया। तो खुलासा हुआ कि कुछ बड़े जिलों में रेडियोलॉजिस्ट की संख्या काफी अधिक है और कई जिलों में एक भी तैनात नहीं। कोर्ट ने कहा पीड़िता को जांच कराने का वैधानिक अधिकार है।
प्रमुख सचिव ने बताया कि प्रदेश के 75 जिलो में कुल 297 रेडियोलाजिस्ट है। जिसमें से 152 डिग्री होल्डर व 145 डिप्लोमा होल्डर है। 21 जिलों में एक, 16 जिलों में दो, कानपुर नगर में 14, प्रयागराज में 13 व लखनऊ में 78 रेडियोलाजिस्ट तैनात हैं। कोर्ट ने कहा आबादी के अनुसार बड़े जिलों में अधिक रखना गलत नहीं इसका मतलब यह नहीं कि छोटे जिलों में तैनाती ही न की जाय। आनुपातिक तैनाती की जानी चाहिए।