गोवध निरोधक कानून में जब्त ट्रक को मुक्त करने का निर्देश
-कोर्ट ने कहा, जीविकोपार्जन के मूल अधिकार से जुड़़ा है मामला -एडीएम मथुरा का आदेश रद्द

प्रयागराज, 17 फरवरी (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोवध निरोधक अधिनियम के तहत 5 सितम्बर 22 को जब्त ट्रक को जरूरी होने पर प्राधिकारी के समक्ष पेश करने की शर्त पर मुक्त करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने एडीएम वित्त एवं राजस्व मथुरा के जब्त वाहन छोड़ने से इंकार करने के 5 दिसम्बर 23 के आदेश को रद्द कर दिया है।
कोर्ट ने कहा याची वाहन अवमुक्त करने से पहले साढ़े सात लाख की प्रतिभूति जमा करेगा। यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान ने कोसीकलां थाना क्षेत्र में दर्ज आपराधिक मामले में अभियुक्त ट्रक मालिक कारी की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को मंजूर करते हुए दिया है।
हालांकि सरकारी वकील की आपत्ति थी कि जब्त वाहन मुक्त करने से इंकार के एडीएम के आदेश के खिलाफ कमिश्नर को पुनरीक्षण अर्जी सुनने का अधिकार है। याचिका पोषणीय नहीं। किंतु याची अधिवक्ता का तर्क था कि जब्त वाहन से अवैध ट्रांसपोर्टेशन नहीं हो रहा था, झूठा फंसाया गया है। दर्ज आपराधिक मामले में पुलिस चार्जशीट पर कोर्ट ने संज्ञान ले लिया है। ट्रायल शीघ्र पूरा होने की सम्भावना नहीं है।
याची जमानत पर हैं। वाहन पब्लिक कैरियर है। यह याची व उसके परिवार के जीविकोपार्जन का श्रोत है। वह सम्पत्ति भी है, जिसे अनिश्चित काल के लिए जब्त नहीं रखा जा सकता। इससे याची के अनुच्छेद 21 व 300ए के संवैधानिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है।
याची अधिवक्ता का यह भी कहना था कि वह प्रतिभूति देने व पूरा सहयोग करने को तैयार हैं। थाने में खड़ा वाहन बेकार हो सकता है। यदि सड़क पर चलेगा तो न केवल मालिक को फायदा होगा अपितु राज्य को भी राजस्व का फायदा होगा। याची ने 30 लाख का लोन लिया है। वाहन जब्त होने के कारण किश्त जमा नहीं हो पा रही है। ट्रक की अभी तक नीलामी नहीं की गई है। कोर्ट ने याची की जीविका के मूल अधिकारों का उल्लंघन देखते हुए जब्त वाहन मुक्त करने को कहा है।
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