ट्रिपल आईटी में 'फिन टेक' कार्यशाला पर विशेषज्ञों ने विचार व्यक्त किये

ट्रिपल आईटी में 'फिन टेक' कार्यशाला पर विशेषज्ञों ने विचार व्यक्त किये

ट्रिपल आईटी में 'फिन टेक' कार्यशाला पर विशेषज्ञों ने विचार व्यक्त किये

प्रयागराज, 13 अक्टूबर। “फिन टेक“ (फायनेन्शल टेक्नोलॉजी) तकनीकी तौर पर अब एक नए दौर में पहुंच गया है, जहां क्रिप्टोकरेंसी ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की करेंसी (मुद्रा) के ऊपर एकाधिकार को समाप्त करने की तरफ़ कदम बढ़ा दिया है। उक्त विचार भारतीय सूचना प्रद्योगिकी संस्थान में आयोजित फिनटेक कार्यशाला के समापन अवसर पर विशेषज्ञों ने व्यक्त किये।

ट्रिपल आईटी की कार्यशाला में बिजनेस इंफरमेटिक्स विभाग द्वारा बुधवार को बिजनेस इंफरमेटिक्स विभाग के संयोजक प्रो ओ.पी व्यास ने बताया कि विश्व के बीस से ज्यादा देशों में बिजनेस इंफरमेटिक्स एक स्थापित शैक्षणिक पाठ्यक्रम के रूप संचालित है। अभी महामारी से उत्पन्न परिस्थितियों ने सभी को जिस प्रकार से ऑनलाइन व्यवस्था तथा ‘वर्क फ्रॉम होम’ के लिए मजबूर किया है उससे अब व्यवसायों में सूचना प्रौद्योगिकी का प्रभाव और भी गहरा हो गया है। जहां एक ओर ऑनलाइन पेमेंट की व्यवस्था से पारम्परिक बैंक एवं वित्तीय सेवा प्रदाताओं पर निर्भरता काफी कम हुई है वहीं तेज़ी से बढ़ते हुए इस क्षेत्र में अद्यतन तकनीक एवं शोध के लिए भी अपार सम्भावनाएं बनी हुई है।

प्रोफेसर रंजीत सिंह ने बताया कि फिनटेक के क्षेत्र में शुरुआत वर्ष 1973 से हो गयी थी। 1973 में स्थापित स्विफ्ट (सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंसियल टेलीकम्यूनिकेशन्स) के माध्यम से विभिन्न वित्तीय संस्थानों के मध्य सामंजस्य हेतु कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल आज भी सफलतापूर्वक संचालित है। जिससे आज भी अंतरराष्ट्रीय क्रॉस बॉर्डर पेमेंट सुचारू एवं सुरक्षित रूप में है। 1980 के दशक में शुरू हुए ऑनलाइन बैंकिंग, वर्ष 2011 में गूगल वॉलेट, एप्पल पे वर्ष 2014 तथा वर्ष 2010 में प्रारम्भ हुई भारतीय फिनटेक कम्पनी ‘पेटीएम’ ने वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया है।

शुरू में मोबाइल और डीटीएच रिचार्ज पर प्रारम्भ करते हुए भारतीय कम्पनी ‘पेटीएम’ धीरे-धीरे बिजली के बिल, गैस बिल साथ ही साथ विभिन्न पोर्टलों की रिचार्जिंग और बिल भुगतान प्रदान करती हुई देश की सर्वोच्च फिनटेक कम्पनी का स्थान प्राप्त कर चुकी है। कार्यशाला में जर्मनी के प्रो.अर्तस क्रोहन, नॉर्वे के डॉ.पंकज पांडेय, आईआईटी बॉम्बे के डॉ.विश्वास पाटिल, ट्रिपल आईटी प्रयागराज के प्रो.वेंकटेसन, डॉ.मुनींद्र ओझा सहित अनेक विशेषज्ञों ने विचार व्यक्त किये।