प्रयागराज, 29 जून (हि.स.)। महाप्रबंधक उत्तर मध्य रेलवे और पूर्वोत्तर रेलवे विनय कुमार त्रिपाठी ने मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से एनसीआर के संरक्षा विषयों की समीक्षा की। साथ ही जनसम्पर्क विभाग द्वारा प्रयागराज में यमुना नदी पर स्थित नैनी ब्रिज के विषय में निर्मित वृत्तचित्र को रिलीज किया गया।
यमुना ब्रिज नैनी भारतीय रेल के गौरवमयी इतिहास का मौन साक्षी है। पुल संख्या-30 से पहचाना जाने वाला यमुना, नदी पर नैनी प्रयागराज में स्थित ब्रिज भारतीय रेल में इंजीनियरिंग का एक जीता जागता नमूना है। गंगा यमुना और अन्त: सलीला सरस्वती के पावन संगम पर स्थित प्रयागराज नगर 3 तरफ से नदियों से घिरा हुआ है। गंगा और यमुना को शहर से जोड़ने के लिए इन नदियों पर अब तक कई पुल (रेल एवं सड़क दोनों) बन चुके हैं और कई नए प्रगति पर भी हैं। इन्हीं में से एक है यमुना नदी पर बना यह पुल। 15 अगस्त सन् 1865 से अपने जन्म के बाद से यह पुल भारतीय रेल के दिल्ली से हावड़ा और मुम्बई से हावड़ा को जोड़ने का कार्य निरंतर कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि, सन् 1859 में प्रयागराज-कानपुर के मध्य पहली गाड़ी के संचालन के साथ उत्तर भारत में रेल यात्रा प्रारम्भ हुई थी। इसके माध्यम से प्रयागराज से पूर्वी भारत का जुड़ाव नैनी ब्रिज (पुल संख्या 30) निर्माण के उपरांत ही सम्भव हो सका था। ब्रिटिश काल में मात्र 44 लाख 46 हजार 300 रुपए की लागत से इसे बनाया गया था। 1855 में इस पुल को बनाए जाने की तैयारी शुरू हुई। इस दौरान लोकेशन भी डिजाइन कर ली गई थी। 1859 में पुल बनाने का कार्य शुरू हुआ। इस पुल को बनाने में तकरीबन 6 साल लगे। ब्रिटिश इंजीनियर मिस्टर सिवले की देखरेख में बने इस पुल में रेल आवागमन 15 अगस्त 1865 में शुरू हुआ। निर्माण के समय इस पर सिर्फ एक लेन ही थी। वर्ष 1913 में इसका दोहरीकरण किया गया फिर इसकी इसी रीगर्डरिंग 1929 में हुई। इसी अद्भुत विरासत को संजोने के क्रम में इस डाक्यूमेंट्री फिल्म को बनाया गया है।
बैठक में महाप्रबंधक ने कहा कि परिचालन में संरक्षा को लेकर कोई कमी स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा प्रत्येक घटना की समुचित जांच समयबद्ध तरीके से किया जाए। श्री त्रिपाठी ने विभिन्न स्थानों पर रेल मार्गों पर ट्रेसपासिंग की घटनाओं पर चर्चा करते हुए मंडलों को आवश्यक निर्देश दिए। बैठक में उत्तर मध्य रेलवे के अपर महाप्रबंधक रंजन यादव, उमरे के प्रमुख विभागाध्यक्ष और प्रयागराज, झांसी और आगरा मंडल के मंडल रेल प्रबंधक और मुख्यालय और मंडलों के अन्य अधिकारी शामिल रहे।