महिलाओं ने सौभाग्य गौरी के दर पर टेका माथा

चैत्र नवरात्र के तीसरे दिन नवदुर्गा के तीसरे स्वरूप देवी चंद्रघंटा का भी दर्शन-पूजन

महिलाओं ने सौभाग्य गौरी के दर पर टेका माथा

वाराणसी, 04 अप्रैल । बाबा विश्वनाथ की नगरी वासंतिक चैत्र नवरात्र में आदिशक्ति मांं दुर्गा के नौ गौरी और शक्ति स्वरूप की आराधना में आकंठ लीन है। चैत्र नवरात्र के तीसरे दिन श्रद्धालुओं ने नवदुर्गा के दर्शन पूजन के क्रम में देवी चंद्रघंटा और नौ गौरी के तीसरे स्वरूप सौभाग्य गौरी के दरबार में हाजिरी लगाई। मां दुर्गा के दोनों स्वरूपों के दरबार में आधी रात के बाद से ही श्रद्धालु पहुंचने लगे थे। लक्खी चौतरा कर्णघंटा के पास गली में स्थित माता चंद्रघंटा के दरबार में भोर से ही श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए कतारबद्ध हो गये थे। कल्याण और सौभाग्य की प्रदाता देवी चंद्रघंटा का दर्शन् कर श्रद्धालु निहाल हो जा रहे थे।

श्रद्धालु माता रानी का गगनभेदी जयकारा लगा अपने घर परिवार में सुख शांति के लिए गुहार भी लगा रहे थे। दर्शनार्थियों में महिलाओं की संख्या अधिक थी। नारियल, चुनरी लेकर लोग अपनी-अपनी कामना के साथ देवी चंद्रघंटा के दरबार में हाजिर लगाते रहे। भोर में देवी विग्रह का फूलों-हरी पत्तियों से मोहक शृंगार, पूजन-अर्चन भोग आरती के बाद मंदिर का पट खुलते ही जयकारे लगने लगे और अपनी बारी के इंतजार में खड़े भक्त एक-एक कर मां की झलक पाकर आह्लादित होते रहे। दरबार में माला-फूल, धूप-बत्ती और लोहबान से वातावरण महमह रहा। भोर से लेकर देर शाम तक दरबार में गूंजती घंटियों की आवाज और रह-रहकर गूंजते जयकारे से पूरा वातावरण देवीमय हो उठा।


नौ गौरी के दर्शन पूजन के क्रम में लोग विश्वनाथ कॉरिडोर परिसर में स्थित सत्यनारायण मंदिर में सौभाग्य गौरी के दरबार में पहुंचते रहे। देवी के इस स्वरूप के दर्शन से व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य की वृद्धि होती है। कहते हैं 108 दिन लगातार देवी के दर्शन से मनोरथ विशेष अवश्य पूर्ण होता है। गृहस्थ आश्रम में महिलाओं के सुख-सौभाग्य की अधिष्ठात्री गौरी हैं। महिलाएं माता रानी से पति के कल्याण की कामना करती हैं। नवरात्र के मौके पर मंदिर परिसर को भव्य रूप से सजाया गया है।