अदालतों में भारतीय भाषाओं में कार्य करने के समर्थन में उठने लगी आवाज

भारतीय भाषा अभियान के राष्ट्रीय संयोजक ने कहा, अदालतों में क्षेत्रीय भाषाओं में तत्काल प्रारम्भ हो काम

अदालतों में भारतीय भाषाओं में कार्य करने के समर्थन में उठने लगी आवाज

प्रयागराज, 03 मई । देश के प्रधानमंत्री द्वारा न्यायपालिका में भारतीय भाषाओं में कार्य करने के समर्थन के बाद इसे लेकर अन्य जगहों पर अब मांग उठनी शुरू हो गई है। भारतीय भाषा अभियान के राष्ट्रीय संयोजक व हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट अशोक मेहता ने कहा कि अब समय आ गया है कि इसके विरोध में बनाई जा रही बनावटी रुकावट को तत्काल हटा कर इस दिशा में शीघ्रता से अदालतों में कार्य प्रारम्भ होना चाहिए।


जब देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व प्रधान न्यायाधीश न्यायालयों में भारतीय भाषाओं में कार्य करने की बात का समर्थन कर चुके हैं तो इस विषय को गम्भीरता से लेते हुए देश के सर्वोच्च न्यायालय वह सभी हाईकोर्टों में भारतीय भाषाओं में कार्यवाही अब शीघ्रता से की जानी चाहिए।

राष्ट्रीय संयोजक मेहता ने कहा कि भारतीय भाषाओं में अदालतों में काम होने से जनता को जनता की भाषा में न्याय मिल सकेगा तथा न्याय व्यवस्था को सरल व सुलभ बनाया जा सकेगा। इस व्यवस्था के विरोध में उठ रहे प्रश्नों का भारतीय भाषा अभियान समय-समय पर समाधान कर चुका है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता भारतीय भाषा अभियान के राष्ट्रीय संयोजक मेहता ने कहा कि 30 अप्रैल को मुख्यमंत्रियों व हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए देश के प्रधानमंत्री ने कहा था कि किसी भी देश में स्वराज का आधार न्याय होता है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट वह हाईकोर्ट में स्थानीय भाषा को प्रोत्साहन देने की जरूरत है। इससे देश के सामान्य नागरिकों का न्याय प्रणाली में भरोसा बढ़ेगा। यही नहीं चीफ जस्टिस एन वी रमणा ने भी कहा था कि न्याय प्रणाली का भारतीयकरण समय की जरूरत है।

भारतीय भाषा में न्याय मिले इसका समर्थन भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने भी न्यायालयों में भारतीय भाषाओं के प्रयोग की बात का अनेकों बार समर्थन किया है। मांग की जा रही है कि न्यायपालिका में भारतीय भाषाओं में कार्य का शुभारम्भ अब अतिशीघ्रता से किया जाना चाहिए।