महाकुम्भ में दिव्य साधनाओं का अनूठा महासंगम, बनेगा विश्व कीर्तिमान

महाकुम्भ में दिव्य साधनाओं का अनूठा महासंगम, बनेगा विश्व कीर्तिमान

महाकुम्भ में दिव्य साधनाओं का अनूठा महासंगम, बनेगा विश्व कीर्तिमान

-अखंड जप-अविराम साधना! विश्व इतिहास में पहली बार सनातन संस्कृति का दिव्य कीर्तिमान- 504 ब्रह्मज्ञानी, 792 घंटे का अखंड पाठ, वैदिक शक्ति का महासंगम- सनातन धर्म की जीवंत चेतना का आलोकपुंज, प्रकृति भी बनी वैदिक स्वर की साक्षीमहाकुम्भ नगर, 06 फरवरी (हि.स.)। जब गंगा की लहरों पर वेद ध्वनि के मंगल स्वर गूंजें, जब यमुना की बहती धारा में मंत्रों की पावन ऊर्जा संचारित हो, जब सरस्वती की अन्त: सलीला में ऋचाओं का गूढ़ ज्ञान प्रवाहित हो-तब एक दिव्य महायज्ञ आकार लेता है जिसे युगों-युगों तक स्मरण किया जाएगा। इस अवसर का महाकुम्भ 2025 पुण्य साक्षी बना हुआ है।प्रयागराज की पुण्य धरा पर जहां स्वयं ब्रह्मा ने सृष्टि का प्रथम यज्ञ संपन्न किया था,वहां आज एक दिव्य यज्ञ अपने चरम पर है-अखंड रुद्री पाठ महादिव्य अनुष्ठानम। दिव्य ज्योति वेद मंदिर में 11088 संहितापाठ 504 ब्रह्मज्ञानी 33 दिनों तक चलने वाले वैदिक अनुष्ठान में 792 घंटों तक अनवरत रुद्री पाठ कर रहे हैं। ब्रह्मज्ञानियों की वाणी से निकले 25,61,328 वैदिक मंत्रों की दिव्य गूंज संपूर्ण वायुमण्डल को आलोकित कर रही है। यह मात्र एक अनुष्ठान नहीं, अपितु सनातन धर्म की जीवंत चेतना का महापर्व है, जहां श्रद्धा, भक्ति और तपस्या का महासंगम अपने दिव्यतम स्वरूप में प्रगट हो रहा है। यह वह क्षण है जब वेदों की शाश्वत ऋचाएं युगों की यात्रा कर आधुनिक मानवता को एक नया संदेश दे रही हैं-सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे संतु निरामयाः। यह केवल भारत की आध्यात्मिक विरासत का गौरव नहीं, बल्कि वसुधैव कुटुंबकम् की भावना से ओतप्रोत एक वैश्विक आह्वान है, जो समस्त मानवता को शांति, सौहार्द और संतुलन का पथ दिखा रहा है।दिव्य ज्योति जाग्रत संस्थान की प्रवक्ता साध्वी तपस्वी भारती ने बताया, यह आयोजन केवल एक कीर्तिमान स्थापित करने के लिए नहीं, बल्कि विश्व शांति, मानवता के उत्थान एवं सनातन धर्म की वैदिक परंपराओं के संरक्षण के लिए आयोजित किया गया है। इस अनुष्ठान को एशिया वर्ल्ड रिकॉर्ड, इंडिया वर्ल्ड रिकॉर्ड और वर्ल्ड रिकॉर्ड ने मान्यता प्रदान की है।

दिव्य साधनाओं का अनूठा महासंगम

महाकुम्भ केवल मंत्रोच्चार और अनुष्ठानों तक सीमित नहीं, अपितु यहां तपस्वियों और संन्यासियों की विलक्षण साधनाएं भी श्रद्धालुओं के लिए आस्था और प्रेरणा का केंद्र बनी हुई हैं। पंच दशनाम जूना अखाड़े के एक संत पिछले कई महीनों से एक ही मुद्रा में खड़े रहकर हठयोग की कठोर साधना कर रहे हैं। उनकी तपस्या को देख श्रद्धालु विस्मय और श्रद्धा से नतमस्तक हो रहे हैं। उनका संकल्प स्पष्ट है- राष्ट्र एवं सनातन धर्म की रक्षा। वहीं, निरंजनी अखाड़े के संन्यासियों ने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना करते हुए कहा कि भारत का यह नेतृत्व जब तक स्थिर है, तब तक राष्ट्र अखंड प्रगति के पथ पर गतिमान रहेगा।

आस्था, अध्यात्म और विश्व एकता का महासंगम

महाकुम्भ केवल भारत का ही नहीं, अपितु संपूर्ण विश्व का एक अद्वितीय आध्यात्मिक आयोजन है। इसकी अद्भुत आभा से आकर्षित होकर देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु, 13 प्रमुख अखाड़ों के संन्यासी, असंख्य योगी, संत और साधक प्रयागराज की पुण्य धरा पर पधारे हैं।

साध्वी तपस्वी भारती ने बताया कि, दिव्य गुरु आशुतोष महाराज की प्रेरणा से यह सर्वधर्म समभाव और वैश्विक सद्भावना का अनुपम उदाहरण बनकर उभरा है। यह आयोजन केवल संख्याओं की गणना से परे एक वैश्विक आह्वान है, जो एकता, शांति और संतुलन का संदेश दे रहा है। जिसका 16 फरवरी को विश्व रिकार्ड बनेगा।