रहस्य बनी इलाहाबाद एग्रीकल्चर को संचालित करने वाली सोसाइटियां
रहस्य बनी इलाहाबाद एग्रीकल्चर को संचालित करने वाली सोसाइटियां
प्रयागराज, 18 जून। नैनी के ख्यातिलब्ध शैक्षणिक संस्थान शुआटस जो पिछले कई वर्षों से विवादों के कारण खबरों में बना हुआ है। इस शैक्षणिक संस्थान को संचालित करने वाली सोसाइटी पर विवाद गहरा गया है।
संस्थान के प्रबन्धक इस संस्थान का संचालन सैम हिग्गिनबॉटम एजुकेशनल चैरिटेबल सोसाइटी (शुआट्स) द्वारा होने का दावा करते हैं और बताते हैं कि इस सोसाइटी का पुराना नाम बोर्ड आफॅ डाइरेक्टर्स ऑफ दि इलाहाबाद एग्रीकल्चर इन्स्टीट्यूट था और निर्माण व पंजीकरण वर्ष 1950 में किया गया था। इस सोसाइटी के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह प्रथम बार सोसाइटी रजिस्ट्रार द्वारा नियुक्त जांच अधिकारी ने ही वर्ष 2020 में लगाया और धीरे-धीरे विवाद गहराता जा रहा है।
सामाजिक कार्यकर्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने मण्डलायुक्त के समक्ष आरोप लगाया कि जब इसके बाद के पंजीकरण क्रमांक वाली संस्था का पंजीकरण 22 दिसम्बर 1949 को हो गया था तो लगभग एक वर्ष बाद बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स ऑफ दि इलाहाबाद एग्रीकल्चर इन्स्टीट्यूट का पंजीकरण सम्भव नहीं है। जांच कार्यवाही में डिप्टी रजिस्ट्रार लखनऊ मण्डल ने बताया कि सैम हिग्गिनबॉटम एजुकेशनल एण्ड चैरिटेबल सोसाइटी का पंजीयन रिकाॅर्ड उनके कार्यालय में नहीं है। इस सोसाइटी का पंजीकरण प्रमाण पत्र क्रमांक आई-4076 और पंजीकरण 25 अगस्त 1950 पत्रावली में दर्ज है। डिप्टी रजिस्ट्रार लखनऊ ने अपनी रिपोर्ट में संस्था पंजीयन रजिस्टर की पेज सं. 245 व 246 भी संलग्न किया है। जिन पर पंजीकरण क्रमांक 4075 सोसाइटी जीतवापी पाल जूनियर हाईस्कूल व पंजीकरण क्रमांक आई-4077 सोसाइटी कृषक एजूकेशनल सोसाइटी क्रमशः 22 दिसम्बर 1949 को पंजीकरण होना दर्ज है। इलाहाबाद एग्रीकल्चर इन्स्टीट्यूट के प्रबन्धन के नियमों का अन्य संस्थाओं के साथ स्पष्ट उल्लेख है।
गौरतलब है कि दूसरी सोसाइटी दि नार्थ इण्डिया सिनाड बोर्ड ऑफ एजुकेशन के प्रबन्धक भी वहीं लोग हैं जो शुआट्स के प्रबन्धक होने का दावा करते हैं। शिकायतकर्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने आरोप लगाया है कि सोसाइटी कार्यालय प्रयागराज जांच कार्यवाही पर लीपापोती करना चाहता है और जब इनके प्रतिनिधि ने सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के प्रावधानों में निर्धारित शुल्क जमा कर जांच स्थिति से अवगत होने के लिए पत्रावली का निरीक्षण करना चाहा तो सोसाइटी कार्यालय में लेखाकार के पद पर कार्यरत राग विराग ने पूरी पत्रावली दिखाने से मना कर दिया। प्रकरण की गम्भीरता को देखते हुए एसटीएफ उ.प्र. पुलिस ने प्रकरण की जांच प्रारम्भ कर दी है। शीघ्र ही दोषियों पर बड़ी कार्यवाही की सम्भावना व्यक्त की जा रही है।