असंख्य दीपों की झिलमिलाहट से आलोकित हुई रामनगरी

राम की पैड़ी पर इको फ्रेंडली आतिशाबाजी व लेजर शो

असंख्य दीपों की झिलमिलाहट से आलोकित हुई रामनगरी

अयोध्या, 22 जनवरी । 22 जनवरी 2024 दिन सोमवार यह भारत के इतिहास का एक ऐतिहासिक दिन बन गया। अयोध्या में रामलला विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की गई, जिसका उत्सव पूरे देश ने मनाया। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की खुशी में पूरी रामनगरी में दिवाली जैसा उत्सव दिखा। अयोध्या में सरयू घाट पर दीप जलाकर प्राण प्रतिष्ठा का जश्न मनाया गया। वहीं अखंड भारत में घर-घर रामज्योति जलाए गए। उल्लास के वातावरण में चहुंओर श्रद्धा और आस्था की हिलोरों के बीच उमड़ा सैलाब दीपोत्सव का साक्षी बनने के लिए आतुर दिखा। श्रद्धालुओं में आतुरता का वेग सरयू की लहरों के समानांतर दिखा तो आस्था का आवेग आकाश को स्पर्श करता प्रतीत हुआ।

जैसे सैकड़ों वर्ष पहले त्रेतायुग में वनवास काटकर लौटे रामजी के अयोध्या वापसी में दीपावली मनाई गई थी, वैसे ही सोमवार को देश भर में दीपोत्सव मना, वह भी रामजी के घर वापसी पर। सरयू तट पर जब रामज्योति प्रकाशमान हुई तब अविस्मरणीय व अलौकिक दृश्य साकार हुआ। सोमवार को शाम होते ही जैसे ही रामज्योति प्रकाशमान हुई और इस अलौकिक छटा को जिसने भी देखा वह निहाल हो उठा। इसके साक्षी बनने वाले प्रत्येक व्यक्ति ने स्वयं को धन्य मान लिया। जगमगाहट ऐसी मानो तेल और बाती में परंपरा की थाती सहेजे दीपों के रूप में धरती पर उतर आए हों सितारे। दीपों की कतार देख लगा कि टिमटिम करते अनगिनत दीपों का सतरंगा चंद्रहार। इसे जो भी देखा बस निहारता रह गया। मुंह खोले, लेकिन सुंदरता का वर्णन करने को शब्द मौन रह गया। विद्युत झालरों की प्रकाश में रामज्योति की झलक मात्र से मन विभोर और तन विह्वल हो उठा। दीपों की जगमग और फूलों के महमह।

एक अनूठा एहसास करा रही थी दीयों की जुगलबंदी

सरयू घाट की सीढ़ियां दीपों की रोशनी से जगमगा उठीं। गंगा आरती पूजन के बाद निर्मल गंगा की लहरों के बीच इठलाते-बहते दीप अलौकिक छटा बिखेर रहे थे। हजारों लोग अद्भुत नजारे का गवाह बने। अद्भुत नजारे को आंखों में समा लेने के लिए सैकड़ों लोग घाट पर जमा हुए। दीपोत्सव से अयोध्या धाम की आभा निखर उठी। घाट पर रोशन हजारों दीयों की जुगलबंदी लोगों को एक अनूठा अहसास करा रही थी। यह लोक उत्सव आज अपनी अलौकिक आभा के चलते प्रिय उत्सव बन गया।

रंगोली आकर्षण का केंद्र

घाट पर जलते हजारों दीयों की रोशनी ने मां गंगा के गले में झिलमिल चंद्रहार दमकने का आभास कराया। वहीं विद्युत झालरों और हाइलोजन बल्बों की सजावट सतरंगी इंद्रधनुष का आभास करा रही थी। इस मौके पर गंगा तट पर जमकर आतिशबाजी भी हुई। इससे आकाश झिलमिल रंग-बिरंगी रोशनियों से जगमगा उठा।