प्रयागराज की फाफामऊ विधानसभा सीट, जानें अबतक का चुनावी इतिहास

बसपा तीन बार, अब सपा-बसपा-भाजपा में टक्कर

प्रयागराज की फाफामऊ विधानसभा सीट, जानें अबतक का चुनावी इतिहास

प्रयागराज जिले की फाफामऊ विधानसभा सीट फूलपुर लोकसभा के अंतर्गत आती है। इस सीट से 2017 में कुल 40.55 प्रतिशत वोट पड़े। भारतीय जनता पार्टी से विक्रमाजीत ने समाजवादी पार्टी के अंसार अहमद को 25,985 वोटों से हराया था। इस संसदीय क्षेत्र से भाजपा की केसरी देवी पटेल सांसद हैं, उन्होंने समाजवादी पार्टी के पंधारी यादव को 1,71,968 मतों से हराया था।

फाफामऊ विधानसभा सीट का नाम कई बार बदला। पहली बार 1951 में सोरांव दक्षिण के नाम से यह विधानसभा सीट जानी जाती थी। लेकिन 1957 में सोरांव पश्चिम के नाम पर हो गई। 1962 से 1969 तक कौड़िहार और 1974 में परिसीमन के बाद इसका नाम नवाबगंज हो गया। अब इसे फाफामऊ के नाम से जाना जाता है।

चुनावी इतिहास के 16 चुनाव में सबसे ज्यादा कांग्रेस प्रत्याशियों की ही जीत हुई है। यहां से बहुजन समाज पार्टी के तीन प्रत्याशी चुने गए। वहीं अभी तक लोक दल और अपना दल को एक बार मौका मिला है। इस सीट पर भाजपा का कब्जा है, लेकिन इस बार उसे सपा से कड़ी चुनौती मिल सकती है। बसपा मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश करेगी क्योंकि तीन बार उसे यहां से जीत मिल चुकी है।

फाफामऊ सीट की अहम बातें

1991 में फाफामऊ विधानसभा सीट पर पहली बार भाजपा को जीत मिली। 1993 में इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी के नजमुद्दीन जीते। 2012 में परिसीमन के बाद फाफामऊ नाम से विधानसभा सीट अस्तित्व में आई और सपा के अंसार अहमद ने जीत दर्ज की। 2012 विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा इलाहाबाद जिले की 12 विधानसभा सीट में कोई सीट नहीं जीत पाई थी। लेकिन 2017 के चुनाव में भाजपा शून्य से शिखर पर पहुंच गई। इस चुनाव में भाजपा और अपना दल गठबंधन ने 9 सीटों से जीत कर इतिहास रच दिया।

राजनीतिक इतिहास

फाफामऊ विधानसभा पर पहली बार राम मंदिर की लहर में 1991 में भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर जीत दर्ज की। यहां से प्रभा शंकर पांडे विधायक चुने गए। 1993 में इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी के नजमुद्दीन ने जीत दर्ज की। 2012 में परिसीमन के बाद फाफामऊ नाम से विधानसभा सीट अस्तित्व में आई। इस सीट पर अब तक दो बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। 2012 में इस सीट से सपा के अंसार अहमद ने जीत दर्ज की। उन्हें 51950 मत मिले, जबकि बहुजन समाज पार्टी के गुरु प्रसाद मौर्य दूसरे स्थान पर रहे, उन्हें 46654 वोट मिले। निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मनोज कुमार पांडे ने तीसरा स्थान हासिल किया। जबकि भाजपा के प्रभा शंकर पांडेय चौथे स्थान पर रहे। 2017 में इस विधानसभा सीट से भाजपा के विक्रमजीत मौर्य ने जीत दर्ज की।

इस विधानसभा क्षेत्र में किसान मतदाताओं की संख्या भी कम नहीं है। क्योंकि शहर के साथ ही ग्रामीण आबादी भी विधानसभा क्षेत्र में रहती है। इस विधानसभा का गंगा के नजदीक का ज्यादातर क्षेत्र नगर निगम सीमा से जुड़ गया है। इस इलाके से लखनऊ, प्रतापगढ़, फैजाबाद जाने वाला मुख्य मार्ग गुजरता है। जिस कारण लोगों को अक्सर जाम की समस्या से दो चार होना पड़ता था। लेकिन अब इस समस्या के समाधान के लिये फाफामऊ इलाके में गंगा पर छह लेन का पुल बनाने का काम चल रहा है। सिक्स लेन वाले इस पुल के बन जाने के बाद इस इलाके में जाम की समस्या भी काफी हद तक समाप्त हो जाएगी। इसके साथ ही इस विधानसभा में एक नया ब्लॉक श्रंग्वेरपुर के नाम से बनाया गया है। जहां पर श्रंग्वेरपुर धाम को पर्यटन स्थल की तरह विकसित करने का काम किया जा रहा है। जिससे उस इलाके का चतुर्मुखी विकास हो रहा है।

अब तक हुए चुनाव पर एक नजर

वर्ष 1951 एवं 1957 में कांग्रेस से परमानंद सिन्हा चुनाव जीते। 1962 में बसपा से मेवा लाल, 1967 कांग्रेस से एसएन सिंह, 1969 एवं 1974 में कांग्रेस से राम पूजन पटेल, 1977 में जनता पार्टी से मुजफ्फर हसन, 1980 में कांग्रेस से मो. आमीन, 1985 में लोकदल से जवाहर सिंह यादव, 1989 में बसपा से नजमुद्दीन चुनाव जीते। 1991 में भाजपा से प्रभाशंकर पाण्डेय ने जीत दर्ज कर खाता यहां खोला। लेकिन 1993 में बसपा से नजमुद्दीन ने सीट छीन ली। इसके बाद 1996 में कांग्रेस के विक्रमाजीत मौर्य का कब्जा हो गया। 2002 में अपना दल के अंसार अहमद ने जीत दर्ज की। 2007 में बसपा के गुरू प्रसाद मौर्या ने सीट छीन ली। लेकिन 2012 में अंसार अहमद ने पुनः सपा से चुनाव जीत लिया। 2017 में मोदी लहर में भाजपा से विक्रमाजीत मौर्य ने पुनः अंसार अहमद को पराजित कर कमल खिला दिया।