10वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर छात्रों एवं वेदाचार्यों ने सूर्य नमस्कार और अष्टांग विन्यास का सामूहिक योग किया

उत्तरी गोलार्ध में आज का दिन साल का सबसे लंबा दिन इसलिए योग परंपराओं के लिहाज से इसे शुभ माना गया है – ब्रजमोहन पाण्डेय   

10वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर छात्रों एवं वेदाचार्यों ने सूर्य नमस्कार और अष्टांग विन्यास का सामूहिक योग किया

प्रयागराज (झूसी)। गंगा किनारे स्थित श्री स्वामी नरोत्तमानन्द गिरि वेद विद्यालय में 10वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर 60 वेदपाठी छात्रों एवं वेदाचार्यों ने सूर्य नमस्कार और अष्टांग विन्यास का सामूहिक योग किया। कार्यक्रम के संयोजक आचार्य ब्रजमोहन पांडेय ने कहा कि गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है 'योगः कर्मशु कौशलम्' अर्थात कार्य में कुशलता ही योग है। व्यवहारिक स्तर पर योग शरीर, मन और भावनाओं में संतुलन और सामंजस्य स्थापित करने का एक साधन है। उत्तरी गोलार्ध में इस दिन साल का सबसे लंबा दिन होता है। लिहाजा, दुनिया के कई इलाकों में यह दिन विशेष माना जाता है। कुद लोग ग्रीष्म संक्रांति कहते हैं। यही कारण है कि योग परंपराओं के लिहाज से इसे शुभ माना गया है।

महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान उज्जैन द्वारा मान्यता प्राप्त इस वेद पाठशाला में नियमित तौर पर योगाभ्यास, संध्या आदि का अभ्यास कराया जाता है। उन्होंने कहा कि संस्कृत में योग का अर्थ जुड़ना या एकजुटता होता है। यह शरीर और चेतना के मिलन का भी प्रतीक है। पिछले कुछ वर्षों में योग की विभिन्न शैलियां व स्वरूप विकसित हुए। लेकिन मूल सिद्धांत वही हैं। योग शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास है। इसकी उत्पत्ति 5,000 साल पहले भारत में हुई। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 11 दिसंबर, 2014 को इसे आधिकारिक स्वीकृति दी। 21 जून 2015 को पूरी दुनिया ने योग की महत्ता को औपचारिक रूप से स्वीकारा। 2014 में संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून के दिन को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया था। तब से इसे अलग-अलग थीम पर मनाया जा रहा है। इस बार की थीम 'योगा फॉर सेल्फ एंड सोसाइटी' है। 

ब्रजमोहन पाण्डेय ने कहा कि योग शारीरिक स्वास्थ्य के लिहाज से लचीलेपन, शक्ति और मुद्रा में सुधार कर  शारीरिक को स्वास्थ्य लाभ देता है। नियमित योगाभ्यास से ब्लड प्रेशर, मधुमेह और गठिया की समस्या दूर होती है। योग मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी है इससे चित्त शांत होता है और एकाग्रता बढ़ती है साथ ही चिंता, तनाव और अवसाद से मुक्ति मिलती है। योग ब्रह्मांड की शक्तियों से मन को जोड़ने में मदद करता है। इससे मनन चिंतन, आत्म-जागरूकता और आंतरिक शांति को बढ़ावा मिलता है। योग से एकता और आपसी सद्भाव को बढ़ावा मिलता है। यह वसुधैव कुटुंबकम की भावना को भी बढ़ाता है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस से भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ाने में अमूल्य योगदान मिला है। 

कार्यक्रम का संयोजन ब्रजमोहन पांडेय ने किया। इस अवसर पर वरिष्ठ आचार्य खिमलाल न्योपाने जीवन उपाध्याय, गौरव जोशी, कृष्णकुमार मिश्र, शिवानंद द्विवेदी, अवनी सिंह, अंजनी कुमार सिंह आदि मौजूद रहे।  
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