महर्षि भारद्वाज प्रयागराज के रक्षक एवं अस्मिता के प्रतीक : वासुदेवानंद सरस्वती
महर्षि भारद्वाज प्रयागराज के रक्षक एवं अस्मिता के प्रतीक : वासुदेवानंद सरस्वती
प्रयागराज, 18 जनवरी (हि.स.)। महर्षि भारद्वाज जयंती के दूसरे दिन शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि महर्षि भारद्वाज भारतीय संस्कृति के रक्षक एवं प्रयागराज की अस्मिता के प्रतीक हैं। उनके बिना प्रयागराज अधूरा है।
महर्षि भारद्वाज जयंती के दूसरे दिन शनिवार को भारद्वाज प्रतिमा स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए राम जन्मभूमि न्यास के सदस्य शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि प्रयागराज की प्रथम पहचान महर्षि भारद्वाज से ही है। इनका गुरुकुल बहुत बड़ा था 10,000 शिष्य थे, जो उनके गुरुकुल में पढ़ते थे। यहां पर शास्त्रार्थ की परम्परा महर्षि भारद्वाज के कारण ही पड़ी। कालांतर में यही माघ मास कल्पवास में बदल गया। आयुर्वेद के जनक विमान शास्त्र के रचयिता महर्षि भारद्वाज जयंती को प्रयागराज दिवस के रूप में मानना ही चाहिए। महर्षि भारद्वाज ज्ञान विज्ञान और भारतीयता के प्रतीक हैं।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि पीडीए के उपाध्यक्ष डॉक्टर अजीत पाल शर्मा ने कहा कि गुरुओं की परम्परा को संरक्षित किया जाना चाहिए। यह हमारे पूर्वज और संसार को ज्ञान विज्ञान देने वाले हैं। प्रोफेसर ललित त्रिपाठी निदेशक केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय गंगानाथ झा ने कहा कि महर्षि भारद्वाज प्रयागराज की ज्ञान की परम्परा के प्रथम पुरुष हैं, प्रयागराज के तीर्थनायक हैं। इनका आशीर्वाद प्राप्त करके ही मंगल की कामना की जा सकती है। भारद्वाज जयंती को प्रयागराज दिवस मनाया जाना उचित ही है।
प्रयागराज विद्वत परिषद के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में विषय परिवर्तन समन्वयक वीरेन्द्र पाठक ने किया। डॉ प्रमोद शुक्ला की अगुवाई में मोर्शी भारतवर्जी की शोभा यात्रा प्रतिमा स्थल से शुरू होकर संगम तक गयी। जहां संगम दर्शन किया गया। कार्यक्रम में पुष्पांजलि रामनरेश पिण्डीवासा, शैलेंद्र अवस्थी, बाल्मीकि मंदिर के मोती लाल, डा भगवत पाण्डेय, पंकज शर्मा, विक्रम मालवीय, शशिकांत मिश्र, राहुल दुबे, डॉ अखिलेश मिश्र, जगत नारायण तिवारी, अभिषेक मिश्र, दिनेश तिवारी, शरद पाण्डेय, आनंद घिल्डियाल, सुधीर द्विवेदी, रघुनाथ द्विवेदी आदि प्रमुख रूप से थे।