प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत को काशी ने पलक-पाँवड़े बिछाये, लोग बेकरार
बनारस को धार्मिक व सामाजिक समृद्धि के केंद्र के रूप में किया स्थापित
वाराणसी, 13 दिसम्बर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों श्री काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण को लेकर पूरी काशी बेकरार है। प्रधानमंत्री के भव्य स्वागत के लिए लोग पलक-पाँवड़े बिछाये हुए है। बनारस अपने सांसद और प्रधानमंत्री के ऐतिहासिक कार्य और संकल्प से गदगद है।
लोग सुबह से ही नहा धोकर तैयार होकर चाय पान की दुकानों पर प्रधानमंत्री के कार्यो की प्रशंसा करते अघा नही रहे। लोग सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के सजे—संवरे अदभुत तस्वीर को शेयर कर रहे है। वाराणसी ही नही पूरे दुनिया की निगाह बाबा विश्वनाथ धाम के लोकार्पण को लेकर है।
बताते चले, मंदिर के गर्भगृह तक बने काशी विश्वनाथ धाम का यह नया अद्भुत स्वरूप लगभग 241 साल दुनिया के सामने आ रहा है। इतिहासकारोंं की माने तो काशी विश्वनाथ मंदिर पर वर्ष 1194 से लेकर 1669 तक कई बार हमले हुए। 1777 से 1780 के बीच मराठा साम्राज्य की महारानी अहिल्याबाई होलकर ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। इसके बाद महाराजा रणजीत सिंह ने बाबा का शिखर बनवाया था।
लगभग ढाई दशक बाद प्रधानमंत्री ने आठ मार्च 2019 को मंदिर के इस भव्य दरबार का शिलान्यास किया था। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में विश्वनाथ धाम का निर्माण कर मूर्त रूप दिया गया। मुख्यमंत्री के निर्देश पर 2018 में गठित काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।कॉरिडोर का निर्माण करने वाली अहमदाबाद की कंसल्टेंट कंपनी ने कुल चार चरणों में निर्माण कार्य शुरू किया।
पहले और तीसरे चरण का काम पहले पूरा किया गया। योजनाबद्ध तरीके से पहले चरण में मंदिर और आस-पास का इलाके का विस्तारीकरण करनें के बाद तीसरे चरण में गंगा घाट के किनारे से निर्माण कार्य शुरू किया गया। मकराना और चुनार के खास पत्थरों से बने इस परिसर में 34 फीट की ऊंचाई वाले चार नये प्रवेश गेट बनाए गए हैं। घाट से आने वाला रास्ता ललिता घाट से है। ललिताघाट से मंदिर का स्वर्णशिखर देखा जा सकता है। मंदिर चौक से लेकर गंगा घाट तक कुल 24 इमारतें बनी हैं। इनमें मुमुक्षु भवन, सिटी म्यूजियम, वाराणसी गैलरी, यात्री सुविधा केंद्र, आध्यात्मिक पुस्तक केंद्र, पर्यटक सुविधा केंद्र, वैदिक भवन, जलपान केंद्र, अन्न क्षेत्र और दुकानें भी बनकर तैयार हैं।
श्री काशी विश्वनाथ का दरबार अब सीधे गंगा तट से एकाकार हो गया है। धाम आने वाले श्रद्धालु गंगा स्नान करके सीधे मंदिर क्षेत्र में आ सकेंगे। श्रद्धालु कॉरिडोर के बाहरी हिस्से पर बने टैरेस पर खड़े होकर गंगा के साथ ही मोक्षतीर्थ मणिकर्णिका और ललिता घाट को भी देख सकेंगे। काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का सड़क मार्ग से मुख्य प्रवेश द्वार गोदौलिया गेट है।
वाराणसी हुकुलगंज निवासी शोध राजश्री त्रिपाठी बताती है कि विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण कर प्रधानमंत्री ने विभिन्न मंदिरों को नवजीवन प्रदान कर वाराणसी को धार्मिक व सामाजिक समृद्धि के केंद्र के रूप में स्थापित किया है। सांस्कृतिक समन्वय व धार्मिक तथा नागरिक विकास की दृष्टि से काशी का इतिहास लगभग ५००० साल पुराना है।
श्री काशी विश्वनाथ धाम अपने दिव्य एवं भव्य रूप में बन गया है। यहां श्रद्धालुओं का आवागमन एवं दर्शन पूजन पहले की अपेक्षा काफी सुगम होगा और साथ ही हिंदू धर्म का व्यापक प्रचार-प्रसार भी होगा । शिव गंगा के किनारे निवास करते हैं उनके त्रिशूल पर काशी बसी है ऐसी मान्यता है। राजश्री त्रिपाठी बताती है कि गंगधार से एकाकार कराने वाले इस ऐतिहासिक धाम के आधुनिक स्वरूप की परिकल्पना को साकार करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सदियों तक याद किये जायेंगे।
प्रधानमंत्री ने काशी विश्वनाथ मंदिर के पौराणिक महत्व धार्मिक महत्व और सांस्कृतिक विरासत को विश्व फलक पर नए तरीके से पेश किया है। प्रधानमंत्री के इस अद्भुत कार्य से पहली बार होगा जब सनातनी भक्त मां गंगा में स्नान करने के साथ ही उनका पावन जल लेकर सीधे बिना किसी रोक-टोक के मंदिर में प्रवेश कर सकेंगे। श्रद्धालु और बाबा विश्वनाथ के बीच अब कोई नहीं है। श्रद्धालु बाबा और मां गंगा को एक साथ निहार सकते हैं। धाम से काशी वासियों को भी अपने धर्म और अध्यात्म से जुड़ने का मौका मिलेगा। बाबा विश्वनाथ मंदिर के मुख्य गर्भगृह में नक्काशी दार खंभों की पीछे की दीवार पर साहित्य और पाषाण शिल्प का अनूठा संगम दिखता है जो सौंदर्य के साथ धार्मिक प्रवृत्ति की ओर बढ़ने और प्रभावित करने में उपयोगी साबित हो सकता है। सूर्यास्त के बाद ये गैलरी बहुरंगी प्रकाश में अनूठी आभा बिखेरती है।