कल्याण सिंह ने कहा था-विधानसभा अध्यक्ष इस्तीफा नहीं देते :केशरीनाथ

कल्याण सिंह ने कहा था-विधानसभा अध्यक्ष इस्तीफा नहीं देते :केशरीनाथ

कल्याण सिंह ने कहा था-विधानसभा अध्यक्ष इस्तीफा नहीं देते :केशरीनाथ

उत्तर प्रदेश के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने कहा कि कल्याण सिंह को कभी पद, प्रतिष्ठा का मोह नहीं रहा। वे कायदे—कानून के पक्के आदमी थे। दबाव और पैरवी की परवाह किए बिना, वही करते थे जो नियमसंगत हो। उन्होंने कोई भी गलत काम कभी नहीं किया। संगठन व सरकार में भी कुछ लोग उनके इस अड़ियल रुख से परेशान थे लेकिन कल्याण सिंह इन बातों से हमेशा बेअसर रहे।

उन्होंने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में विवादित ढांचा गिरने के बाद जब कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया तो मैं उनसे मिलने के लिए उनके बंगले में गया। मैंने उनसे विधानसभा अध्यक्ष छोड़ने की पेशकश की तो उनका जवाब था कि आप विधानसभा अध्यक्ष हैं। विधान सभा अध्यक्ष इस्तीफा नहीं देते, इसलिए आप पद पर बने रहिए।

थोड़ी देर में वहां लालकृष्ण आडवाणी आ गए। कल्याण सिंह ने उनका अभिवादन किया, लेकिन जब भोजन कराने की बारी आई तो बोले कि अब मैं मुख्यमंत्री नहीं हूं। सरकारी खर्च पर कुछ खिला-पिला नहीं पाऊंगा। तब मैंने कहा कि मैं विधानसभा अध्यक्ष हूं, सबके भोजन का प्रबंध करवा देता हूं। मेरी बात सुनकर पास बैठे सिंचाई मंत्री ओम प्रकाश सिंह बोल पड़े कि पंडित जी, आप परेशान न हों, मैं सबके खाने का प्रबंध करवा रहा हूं और फिर उन्होंने सबके भोजन का प्रबंध किया।



केशरीनाथ त्रिपाठी ने कल्याण सिंह को याद करते हुए कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के रूप में मेरे पास पुरानी गाड़ी थी, मैंने उनसे नई गाड़ी दिलाने का आग्रह किया। विधानसभा अध्यक्ष की बात कोई काटता नहीं था, लेकिन वे इसके लिए

राजी नहीं हुए। मेरे पीए ने बिना मेरी जानकारी के गाड़ी का आर्डर दे दिया और वह मेरे बंगले में आ गई। गाड़ी लेकर आए कर्मचारी ने मुझे उसमें बैठने के लिए कहा, परंतु मैंने गाड़ी में पैर नहीं रखा, क्योंकि मुख्यमंत्री की अनुमति नहीं थी। जब कल्याण सिंह को यह बात पता चली तो वे मेरे पास आए और नई गाड़ी लेने की अनुमति दे दी लेकिन इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सारे मंत्रियों की गाड़ी पुरानी है। अगर अध्यक्ष को नई गाड़ी मिलेगी तो सभी मंत्री इस बावत दबाव बनाएंगे। इससे सरकारी खजाने पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा। मुझे उनकी बात उचित लगी और मैंने वह गाड़ी लौटा दी। इन छोटी—छोटी बातों पर ध्यान देने वाले जननायक का अवसान देश की सबसे बड़ी क्षति है।