प्रयागराज: एक भारत, श्रेष्ठ भारत का निर्माण सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन से : कुलपति
“सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन की आवश्यकता“ पर वेबीनार
प्रयागराज, 22 अगस्त । एक भारत और श्रेष्ठ भारत का निर्माण सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन से ही हो सकता है। इस उन्मूलन में मीरा, द्रोपदी, सीता हमारा आदर्श हो सकती हैं। यह बातें डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर मुक्त विश्वविद्यालय गुजरात की कुलपति प्रोफेसर अमी उपाध्याय ने “सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन की आवश्यकता“ विषयक वेबीनार में कही।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा आयोजित वेबीनार में उन्होंने कहा कि हमें सही और गलत की समझ होनी चाहिए। नई शिक्षा नीति इसको भी ध्यान में रखकर चलने वाली नीति है। उन्होंने सवाल उठाया कि जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हम सवाल करना क्यों छोड़ देते हैं? बेटियों, विधवाओं, दहेज हत्या, भ्रूण हत्या और भ्रष्टाचार का संदर्भ उठाते हुए उन्होंने कहा यह सब कहीं ना कहीं सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक विषयों में हमारी शिथिलता के कारण हैं, जिसे ठीक किया जाना चाहिये।
नव नालंदा महाविहार विश्वविद्यालय, बिहार के कुलपति प्रो.वैद्यनाथ लाभ ने कहा कि भगवान बुद्ध ने सैद्धांतिक और व्यवहारिक मार्गों में मध्यम मार्ग अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया था। नई शिक्षा नीति सांस्कृतिक चेतना को आयाम देने वाली नीति है। यह मातृभाषा को गौरव प्रदान करने वाली और सब प्रकार की कुरीतियों के उन्मूलन का पथ प्रशस्त करने वाली नीति है। उन्होंने जयप्रकाश नारायण का संदर्भ उठाते हुए कहा कि एक व्यक्ति भ्रष्टाचार जैसी कुरीति के उन्मूलन के लिए कितना बड़ा प्रयत्न करता है। हमें उससे और उस प्रकार के सभी महापुरुषों से सबक सीखना चाहिए। संवेदनशीलता ही इसका हल है। संवेदनशील मनुष्य केवल मनुष्यों को नहीं, पशु, पक्षी, जड़, जंगम, प्रकृति, पुरुष सब प्रकार के संदर्भों में नवनिर्मित का पथ प्रशस्त करता है।
वेबीनार के आयोजक एवं संयोजक इलाहाबाद विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक डॉ. राजेश कुमार गर्ग ने कहा की कुरीतियों का उन्मूलन तभी होगा जब पहले हम समस्या को जानेंगे, समझेंगे, उसके प्रभावों को भली भांति चिन्हित और रेखांकित करेंगे और तब दुष्प्रभावों के मद्देनजर हम यथा आवश्यक कुरीतियों के उन्मूलन की चेष्टा करेंगे। कार्यक्रम का संचालन डॉ स्वप्निल श्रीवास्तव ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ जीजो जार्ज ने किया।