पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का लंबी बीमारी के बाद दुबई में निधन
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का लंबी बीमारी के बाद दुबई में निधन
इस्लामाबाद/नई दिल्ली, 05 फरवरी । पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल (रिटायर्ड) परवेज मुशर्रफ का लंबी बीमारी के बाद रविवार को दुबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। यहां के दो प्रमुख समाचार संचार माध्यम जियो न्यूज और डॉन ने उनके निधन की सूचना प्रसारित की है।
पाकिस्तान के न्यूज चैनल जियो न्यूज ने राजनयिक सूत्रों के हवाले से प्रसारित सूचना में कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का रविवार को दुबई के एक अस्पताल में 79 साल की आयु में निधन हो गया।
परवेज मुशर्रफ का जन्म 11 अगस्त, 1943 को भारत की राजधानी दिल्ली के दरियागंज में हुआ था। भारत के विभाजन के बाद उनका परिवार कराची जाकर बस गया। इसके बाद वह पाकिस्तान के राष्ट्रपति और सेना प्रमुख बने। 1999 में नवाज शरीफ की लोकतांत्रिक सरकार का तख्ता पलट कर पाकिस्तान की बागडोर संभाली और 20 जून, 2001 से 18 अगस्त 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे। साल 2001 में अपने भारत दौरे के पहले दिन परवेज मुशर्रफ दरियागंज जाकर अपने उस मकान को देखने गए थे, जहां उनके बचपन के चार साल गुजरे थे।
डॉन अखबार ने सूचना दी है कि मुशर्रफ के निधन पर इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस ने संवेदना व्यक्त की। सेना के मीडिया विंग ने कहा-'अल्लाह दिवंगत आत्मा को शांति दे और शोक संतप्त परिवार को शक्ति दे।' पाकिस्तान के मीडिया के मुताबिक पूर्व सैन्य शासक मुशर्रफ की स्थिति पिछले साल जून से गंभीर थी। साल 2018 में सबसे पहले ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग ने घोषणा की थी कि वह दुर्लभ बीमारी एमाइलॉयडोसिस से पीड़ित हैं। हालांकि, पूर्व सैन्य शासक इलाज के लिए मार्च 2016 में ही मुल्क छोड़कर दुबई चले गए थे। उसके बाद से वह पाकिस्तान नहीं लौटे।
साल 1999 में अप्रैल से जून तक भारत और पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध के लिए तत्कालीन सेनाध्यक्ष परवेज मुशर्रफ को ही जम्मेदार माना जाता है। अपने सेनाध्यक्ष के कार्यकाल में उन्होंने भारत को कई ऐसे जख्म दिए, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। हालांकि भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारते हुए रिश्तों को नए आयाम तक पहुंचाया, लेकिन उनकी यह पहल लंबे समय तक कायम नहीं रह पाई। माना जाता है कि परवेज मुशर्रफ ही वाजपेयी का साथ देने में पीछे हट गए थे।