शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास आयोजित कर रहा ज्ञान महाकुंभ
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास आयोजित कर रहा ज्ञान महाकुंभ
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- ज्ञान महाकुंभ से उठी गूंज भारत को भारत कहें इंडिया नहीं :डॉ अतुल कोठारी
महाकुम्भ नगर, 1 फ़रवरी (हि.स.)। हजारों वर्षों से हमारे देश का नाम 'भारत' है। वेदों, पुराणों, रामायण और महाभारत सहित सभी प्राचीन ग्रंथों में हमारे देश का नाम 'भारत' वर्णित है। भारत शब्द से गौरव और गरिमा की अनुभूति होती है। लेकिन संविधान निर्माण के समय अनेक सदस्यों के विरोध के बावजूद संविधान में भारत नाम से पहले इंडिया नाम जोड़ दिया गया। इंडिया नाम भारत में अंग्रेजों के साथ आया और उनके द्वारा ही प्रचलित किया गया। यह हमारी औपनिवेशिक दासता का प्रतीक है। इंडिया शब्द से भारतवासियों के लिए इंडियन शब्द बना, शब्दकोश में इण्डिया शब्द का कोई वास्तविक अर्थ प्राप्त नहीं होता है और जो अर्थ मिलता है, वह अपमानजनक ही है। उक्त बाते शनिवार को ज्ञान महाकुंभ में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव डॉ अतुल कोठारी ने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए व्यक्त किया।
उन्होंने ज्ञान महाकुंभ के विषय में जानकारी देते हुए शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा विगत 10 जनवरी से 10 फरवरी तक प्रयागराज में पवित्र महाकुंभ के समय ज्ञान महाकुंभ का आयोजन चल रहा है। इस महाकुंभ में उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, गुजरात आदि राज्यों के शिक्षा मंत्री, 100 से अधिक कुलपति व निदेशक, 4000 से अधिक छात्र एवं सैकड़ों आचार्य, प्रशासनिक अधिकारी, शिक्षा जगत की नियामक संस्थाओं के प्रतिनिधि आदि भारतीयता के आलोक में देश की शिक्षा व्यवस्था पर चिंतन-मंथन कर भारतीय ज्ञान परम्परा के आधार पर भारतीय शिक्षा व्यवस्था का पुनर्स्थापना का संकल्प करेंगे एवं पूरे देश में इसे साकार करने का प्रयत्न करेंगे। इस आयोजन के मुख्य संरक्षक उत्तर प्रदेश माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी एवं अन्य संरक्षक में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय व उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हैं। यह आयोजन राजस्थान के विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के एमडी व सीईओ आशीष चौहान, एआइसीटीई के अध्यक्ष प्रो टी.जी. सीताराम, महर्षि अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, अमेरिका के अध्यक्ष डॉ टोनी नाडर, यूजीसी के उपाध्यक्ष प्रो दीपक श्रीवास्तव की विशेष उपस्थिति व मार्गदर्शन में आयोजित किया जा रहा।
उन्होंने कहा कि भारत में भारतीयता को पुन:स्थापित करने के उद्देश्य से शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने ज्ञान महाकुंभ के अन्तर्गत एक राष्ट्र, एक नाम भारत विषय आज एक राष्ट्रीय सम्मेलन हो रहा है। भारत सरकार के सभी कार्यों में देश का नाम इंडिया नहीं भारत ही प्रयोग किया जाये, इस हेतु राष्ट्रपति जी को पत्र एवं इस मुहिम के लिए वृहद स्तर पर हस्ताक्षर अभियान चलाया जायेगा।
डॉ कोठारी ने कहा कि वैश्विक तापमान में प्रतिकूल वृद्धि, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के असंतुलन जैसी पर्यावरण संबंधी समस्याएं मानवता के समक्ष गंभीर चुनौती प्रस्तुत कर रही हैं। औद्योगीकरण, शहरीकरण और उपभोक्तावाद ने वनों की कटाई, कार्बन उत्सर्जन और भूमि, जल व वायु प्रदूषण को बढ़ावा दिया है। इसके दुष्प्रभाव हमारे गांवों, कस्बों और शहरों में भी स्पष्ट दिखाई देते हैं। यह विकट स्थिति मुख्यतः प्रकृति के प्रति हमारे लालचपूर्ण दृष्टिकोण के कारण उत्पन्न हुई है। समकालीन वैश्विक पर्यावरणीय, परिस्थितिकीय तथा जलवायु संबंधित समस्याओं का समाधान भारतीय संस्कृति, विचार, व्यवहार व जीवन शैली में है। भारत का "हरित" पर्यावरण दृष्टिकोण पंचमहाभूतों की शाश्वतता, सम्यकता तथा परस्पर संतुलनता को स्थापित करता है। ज्ञान महाकुंभ श्रृंखला के तहत, 5-6 फरवरी, 2025 को हरित महाकुंभ समावेशी संवाद भारतीय पर्यावरण दृष्टिकोण को अधिक पुष्टता प्रदान करने तथा पर्यावरण संवर्द्धन, संरक्षण की मूल परंपराओं, जीवन शैली को पुनर्स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण सोपान है। इस हरित महाकुंभ का उद्घाटन केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव करेंगे तथा समापन डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे जी करेंगे। यह आयोजन सम्पूर्ण विश्व की पारिस्थितिकी, जलवायु तथा जैव विविधता को समृद्ध बनाने के हमारे नागरिक व संस्थागत कर्तव्यों को भी एक प्रेरणादायी दिशा व संबल प्रदान करेगा।
उन्होंने बताया कि न्यास की अध्यक्ष डॉ पंकज मित्तल, संजय स्वामी, एमएनआईटी प्रयागराज के निदेशक प्रो रमा शंकर वर्मा, आईआईआईटी प्रयागराज के निदेशक डॉ मुकुल सुतावने, डॉ पूर्णेंदु मिश्र इस ज्ञान महाकुंभ की आयोजन समिति के सदस्य हैं।
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा योजनाबद्ध तरीके से अपने कार्यकलापों, विभिन्न विषयों में न्यास द्वारा किए जा रहे उत्कृष्ट कार्यों का प्रदर्शन किया जा रहा है। शिक्षा से आत्मनिर्भरता, महिला कार्य, शैक्षणिक नवाचार, भारतीय भाषाओं के वि