मां विंध्यवासिनी के चरणों में भक्तों ने नवाया शीश, सुख-समृद्धि की कामना

मां विंध्यवासिनी के चरणों में भक्तों ने नवाया शीश, सुख-समृद्धि की कामना

मां विंध्यवासिनी के चरणों में भक्तों ने नवाया शीश, सुख-समृद्धि की कामना

गुप्त नवरात्र के चौथे दिन मंगलवार को विंध्यधाम स्थित मां विंध्यवासिनी के दर्शन-पूजन काे श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। भक्तों ने विधि-विधान से मां के चरणों में शीश नवाकर सुख-समृद्धि की कामना की। मंगला आरती के बाद से ही पूजन-अर्चन का सिलसिला शुरू हो गया।


गुड़हल, कमल पुष्प व रत्न जड़ित हार से मां विध्यवासिनी का श्रृंगार किया गया। नारियल-चुनरी, माला-फूल प्रसाद के साथ कतारबद्ध श्रद्धालु जयकारे के साथ मंदिर की ओर बढ़ते रहे। किसी ने झांकी तो किसी ने गर्भगृह पहुंच मां विध्यवासिनी का दर्शन-पूजन किया। मां की झलक पाकर भक्त निहाल हो उठे। इसके बाद मंदिर परिसर पर विराजमान समस्त देवी-देवताओं को नमन किया। दूर-दराज से श्रद्धालु मां विंध्यवासिनी का दर्शन करने के साथ पूजन-अनुष्ठान करने विंध्याचल आए हुए हैं। गुप्त नवरात्रि पर आठ जुलाई तक विंध्यधाम गुलजार रहेगा। मंदिर में भारी भीड़ के चलते सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।


गुप्त नवरात्र में होती है आध्यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति


श्रीविंध्य पंडा समाज के मंत्री भानु पाठक ने बताया कि गुप्त नवरात्र की अलग ही महिमा है। तमाम लोग गुप्त नवरात्रि पर पूजन-अनुष्ठान करते हैं। गुप्त नवरात्रि पर श्रद्धालु गुप्त तरीके से मनोकामनाएं रखते हैं और मां विंध्यवासिनी मनोकामना पूरी करती हैं। नवरात्रि में मां विंध्यवासिनी की दस महाविद्याओं की पूजा-अर्चना की जाती है। प्रत्यक्ष नवरात्रि में सात्विक साधना नित्य उत्सव मनाए जाते हैं जबकि गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक साधना और कठिन व्रत का महत्व होता है। प्रत्यक्ष नवरात्र के दौरान संसार की छांव की पूर्ति के लिए पूजा आराधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में आध्यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति, सिद्धी व मोक्ष के लिए की जाती है।