कहीं हुआ चित्रकूट में भरत मिलाप तो कहीं हुई सीता हरण की लीला
कहीं हुआ चित्रकूट में भरत मिलाप तो कहीं हुई सीता हरण की लीला
लखनऊ, 11 अक्टूबर । भरत अपने अग्रज श्रीराम से मिलने चित्रकूट जाने का प्रस्ताव रखते हैं। जिस पर गुरुजन और राज दरबार के सभी जन सहर्ष तैयार हो जाते हैं। चित्रकूट जाने की तैयारी होने लगती है। राजपरिवार के सभी जन रथों पर सवार हो जाते हैं, लेकिन भरत नंगे पैर ही प्रस्थान करते हैं। कारण बताते हैं कि भैया राम भी वन नंगे ही पैर गए होंगे। भाई के प्रति इतना प्यार और सम्मान देखकर सभी भाव-विभोर हो जाते हैं। भरत राजगद्दी का अधिकार पाकर उसपर श्रीराम की खड़ाऊं विराजित कर देते हैं। भरत के इसी त्याग की आज भी सारा संसार में महिमा है। भरत-मिलाप की यह लीला श्रीरामलीला समिति, ऐशबाग की ओर से मंचित की गई। उधर, मौसमगंज रामलीला में सीता हरण, खर-दूषण वध की लीला मंचित की गई।
इसके अलावा लीला समिति की ओर से कोविड प्रोटोकॉल के तहत ऑनलाइन लाइव चल रहे रामोत्सव-2021 के पांचवें दिन सोमवार को भरत निषादराज मिलन, राम भरत मिलन, राम पादुका लेकर भरत का अयोध्या प्रस्थान लीला का मंचन हुआ। आज की लाइव ऑनलाइन आरम्भ हुई रामलीला की शुरुआत भरत का चित्रकूट प्रस्थान लीला से हुआ। इस प्रसंग में भरत को जब राम के विषय में पता चलता है तो वह अपने भाई से मिलने चित्रकूट के लिए प्रस्थान करते हैं। राजमहल में जब तीनों रानियों को पता चलता है कि भरत, राम को वापस लाने के लिए चित्रकूट जा रहे हैं, तो वे भी चित्रकूट जाने के लिए तैयार हो जाती हैं। भरत सभी को लेकर जब चित्रकूट की ओर बढ़ते हैं।
दूसरी ओर चित्रकूट में बनी कुटिया के बाहर लक्ष्मण दूर से देखते हैं कि कोई सेना सहित उनकी कुटिया की ओर बढ़ रहा है तो वह राम से कहते हैं कि भइया सेना सहित हम लोगों से लड़ने के लिए कोई आ रहा है। त राम कहते हैं कि अगर कोई आ रहा है तो आने दो। कुछ क्षणों के उपरान्त भरत सभी माताओं को लेकर राम से मिलने के लिए कुटिया में पहुंचते हैं तो राम सभी को देखकर बहुत प्रसन्न होते हैं। भरत राम से अयोध्या वापस चलने के लिए कहते हैं। तब राम कहते हैं ऐसा करने से पिताजी के वचनों का अपमान होगा। इसलिए मैं नहीं जा सकता। काफी मनाने के बाद भरत, राम से कहते हैं कि आप अगर नहीं जा सकते तो अपनी खड़ाऊं दे दीजिए, उसी को अपना आदर्श मानकर मैं आपके वापस आने तक अयोध्या का राजकाज सम्भालूंगा। इसके उपरान्त भरत, राम की चरण पादुका लेकर सभी के साथ अयोध्या की ओर प्रस्थान करते हैं। इसी के साथ आज की रामलीला विश्राम लेती है।
डालीगंज की श्रीमौसमगंज रामलीला मे सोमवार को सीता हरण का प्रभावशाली मंचन किया गया। लीला में दिखाया कि खर-दूषण अपने 14 हजार सैनिकों के साथ प्रभु श्रीराम के साथ युद्ध के लिए जाता है लेकिन वह सैनिकों के साथ मारा जाता है। उधर सूपर्णखा अपनी कटी नाक लेकर लंकापति रावण के पास जाती है और कहती है कि पंचवटी में दो तपस्वी आए हुए हैं। जब उनके सामने रावण का नाम लिया गया तो नाराज हो गए और मेरे साथ यह सलूक किया। लंकापति रावण कहता है कि चिंता मत करो। अगले क्रम मे रावण मारीच के पास जाकर सीता हरण के लिए कहता है। मारीच काफी समझाने का प्रयास करता है लेकिन रावण एक भी बात नहीं सुनता है। आखिरकार मारीच एक सोने का हिरण बनकर पंचवटी को जाता है। उसका वध होने के बाद भिक्षुक बनकर रावण सीता की कुटी पर जाता है। जैसे भिक्षा लेकर बाहर आती हैं, रावण उनका हरण कर लेता है। लीला मे रावण के रोल में आशीष, सीताकी भूमिका में तुषार जोशी दिखे। लीला से पूर्व समति के अध्यक्ष घनश्याम अग्रवाल, कामता जायसवाल, सुरेश श्रीवास्तव, राजेश त्रिपाठी, पीयूष निगम ने भगवान की आरती की।