कल्पवास और कुम्भ का अनूठा संबंध, 12 फरवरी को होगा कल्पवास का समापन

कल्पवास और कुम्भ का अनूठा संबंध, 12 फरवरी को होगा कल्पवास का समापन

कल्पवास और कुम्भ का अनूठा संबंध, 12 फरवरी को होगा कल्पवास का समापन

महाकुम्भ नगर, 10 फरवरी (हि.स.)। प्रयागराज में महाकुम्भ की शुरुआत 13 जनवरी पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ हुई थी, जिसके साथ ही कल्पवास की भी शुरुआत हुई। कल्पवास और महाकुम्भ का एक अनूठा संबंध माना जाता है। मान्यता है कि इस दौरान कल्पवास के नियमों का पालन करने से व्यक्ति को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

आस्था के महापर्व महाकुम्भ के दौरान अब तक 43 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में पवित्र डुबकी लगाई है। इसके अलावा कई लोग पवित्र तट पर कल्पवास के नियमों का पालन भी कर रहें हैं। मान्यता है कि कल्पवास के सभी नियमों का निष्ठापूर्वक पालन करने वालों को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। इसके अलावा कल्पवास को तन, मन की शुद्धि और आत्मा की मुक्ति का मार्ग माना गया है। महाकुम्भ में 10 लाख से ज्यादा कल्पवासी हैं। माघ पूर्णिमा के स्नान के साथ ही कल्पवास का समापन हो जाएगा।

कल्पवास का समापन : लोग संगम तट पर पूरे माघ महीने निवास करते हुए कल्पवास के नियमों का पालन कर पुण्य प्राप्ति करते हैं। प्रयागराज में संगम तट पर कल्पवास की शुरुआत 13 जनवरी को हुई थी। वहीं कल्पवास का समापन माघ मास की पूर्णिमा तिथि को यानी 12 फरवरी को समाप्त होगा।

क्या है कल्पवास : धार्मिक मान्यता के अनुसार, कल्पवास को व्यक्ति के लिए आध्यात्मिक विकास का मार्ग माना जाता है। कल्पवास के दौरान लोग पूरे माघ महीने प्रयागराज के त्रिवेणी संगम तट पर रहते हैं। इस दौरान कठिन तपस्या और भागवत साधना में लीन रहते हैं। पूरे माघ महीने संगम तट पर निवास करने के साथ ब्रह्मचर्य का पालन, ब्रह्म मुहूर्त में जागना, तीन बार पवित्र संगम में स्नान करना आदि कार्य शामिल होते हैं। कुंभ मेले के दौरान कल्पवास का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।

कल्पवास के लाभ : कहते हैं कि जो भी व्यक्ति संगम तट पर कल्पवास के नियमों का पालन करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मान्यता है कि कुम्भ के दौरान कल्पवास करना 100 सालों तक बिना अन्न ग्रहण किए तपस्या करने जितना ही फलदायी माना जाता है। इसके अलावा गृहस्थ जीवन में जिन लोगों से जाने-अनजाने में कोई पाप हुआ है तो उससे भी मुक्ति मिलती है।

बुधवार को दिनभर रहेगा पूर्णिमा का प्रभाव : आचार्य अवधेश मिश्र शास्त्री के अनुसार 11 फरवरी की शाम 6.30 बजे पूर्णिमा तिथि लग जाएगी जो 12 फरवरी को शाम 6.41 बजे तक रहेगी। इससे बुधवार को दिनभर पूर्णिमा का प्रभाव रहेगा। 12 फरवरी की सुबह 8.01 बजे तक श्लेषा नक्षत्र और सौभाग्य योग है। इसके बाद शोभन योग लग जाएगा। कुंभ राशि में बुध व शनि, मीन राशि में शुक्र व राहु संचरण करेंगे। जो अत्यंत उत्तम माना जाता है। उन्होंने बताया कि माघ पूर्णिमा स्नान पर्व के साथ संगम क्षेत्र में चल रहा माहभर का कल्पवास समाप्त हो जाएगा। स्नान के बाद अधिकतर संत व श्रद्धालु क्षेत्र से प्रस्थान कर जाएंगे।