महाशिवरात्रि को महाकुम्भ का अंतिम स्नान, बने रहे शुभ योग, स्नान-दान से प्रसन्न होंगे भोलेनाथ

महाशिवरात्रि को महाकुम्भ का अंतिम स्नान, बने रहे शुभ योग, स्नान-दान से प्रसन्न होंगे भोलेनाथ

महाशिवरात्रि को महाकुम्भ का अंतिम स्नान, बने रहे शुभ योग, स्नान-दान से प्रसन्न होंगे भोलेनाथ

महाकुम्भ, 24 फरवरी (हि.स.)। महाशिवरात्रि के स्नान के साथ महाकुम्भ का समापन हो जाएगा। महाकुम्भ में विशेष पर्वों पर स्नान का बहुत महत्व होता है। 13 जनवरी से शुरू हुए महाकुम्भ में मेले में तीन अमृत और तीन विशेष पर्व स्नान का योग है। बता दें, महाकुम्भ में पांच स्नान हो चुके हैं, महाशिवरात्रि के दिन अंतिम स्नान संपन्न होगा।

महाशिव रात्रि का महत्व : सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का त्योहार अत्यधिक पवित्र माना जाता है। फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाने वाली यह रात भगवान शिव और मां पार्वती के मिलन की प्रतीक है। मान्यता है कि महाशिव रात्रि के दिन विधि विधान से व्रत और पूजा पाठ करने भोलेनाथ अपने भक्तों को विशेष फल प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं।

महाशिवरात्रि को पूजा और दान-पुण्य का का मुहूर्त : पंडित अवधेश मिश्र शास्त्री के अनुसार, फाल्गुन महीने की चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी 2025 को सुबह 11:08 बजे शुरू होगी और 27 फरवरी को सुबह 8:54 बजे समाप्त होगी। इसलिए उदया तिथिनुसार व्रत 26 फरवरी के दिन ही रखा जाएगा। महाशिवरात्रि पर ब्रह्म मुहूर्त में जलाभिषेक का विशेष महत्व होता है। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:09 बजे तक रहेगा, जो पूजा और आराधना के लिए सबसे शुभ समय है। जलाभिषेक साथ साधक व्रत का संकल्प लें और पूरा दिन नियम और वचन से पवित्र रहकर संध्या को व्रत का पारण सात्विक के साथ करें।

पंडित अवधेश मिश्र के अनुसार, इस बार महाशिवरात्रि पर परिघ योग और शिव योग बन रहा है। ये योग पूरे दिन शुभ रहेंगे और भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए आदर्श माने जाते हैं। इस दिन अगर आपक महाकुम्भ प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेते हैं तो आपको विशेष फल की प्राप्ति होगी।

इन वस्तुओं का करें दान : महाशिवरात्रि पर दान भी किया जाता है। इस दिन किसी जरुरतमंद को गेहूं, चावल, कच्चा दूध, घी, काले तिल और वस्त्रों का दान अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और कृपा करते हैं।

महाकुम्भ के अमृत और विशेष पर्व स्नान : महाकुमभ 2025 का पहला विशेष पर्व स्नान 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के दिन, दूसरा स्नान 14 जनवरी मकर संक्रांति (पहला अमृत स्नान), मौनी अमावस्या 29 जनवरी को तीसरा स्नान (दूसरा अमृत स्नान), 3 फरवरी बसंत पंचमी को चौथा स्नान (तीसरा और अंतिम अमृत स्नान), पांचवा स्नान 12 फरवरी माघ पूर्णिमा (विशेष पर्व स्नान, कल्पवास का समापन) हो चुके हैं। महाकुम्भ का अंतिम विशेष पर्व स्नान 26 फरवरी महाशिव रात्रि के दिन है।