दो माफियाओं के लिए अच्छा नहीं रहा वर्ष 2023
दो माफियाओं के लिए अच्छा नहीं रहा वर्ष 2023
लखनऊ, 29 दिसम्बर। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार में वर्ष 2023 को दो माफियाओं के लिए अच्छा नहीं माना गया। इसमें पहले नम्बर पर माफिया अतीक अहमद, जो अब इस दुनिया में नहीं है। वहीं दूसरे नम्बर पर माफिया मुख्तार अंसारी बांदा जेल की तन्हाई बैरक में सजा काट रहा है। हालांकि आपराधियों के लिए जीरो टॉलरेंस नीति अपनाते हुए पुलिस पूरे साल कार्रवाई करती रही। लगातार कार्रवाई के चलते कई अपराधी मारे गए और कई को पकड़ते हुए कठोर कार्रवाई की गई।
वर्ष 2023 की शुरुआती दिनों में फरवरी माह में विधानसभा सत्र जारी था। प्रयागराज की धरती पर बसपा विधायक राजूपाल हत्या के मुख्य गवाह और अधिवक्ता उमेश पाल को माफिया अतीक अहमद के इशारे पर गोलियों से भून दिया गया। इसका असर विधानसभा सत्र में 25 फरवरी को हुआ, तभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन में प्रयागराज की घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस माफिया को मिट्टी में मिला दूंगा।
मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद यूपी पुलिस की उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स ने माफिया अतीक अहमद पर शिकंजा कसना शुरु किया। स्पेशल टास्क फोर्स के डीआईजी अनंत देव तिवारी के नेतृत्व वाली टीम में शामिल पुलिस उपायुक्त नवेन्द्रु कुमार एवं पुलिस उपायुक्त विमल कुमार की टीम ने 13 अप्रैल को झांसी में अतीक के बेटे असद और शूटर गुलाम मोहम्मद की सूचना मिली। एसटीएफ टीम द्वारा घेराबंदी कर झांसी में असद और गुलाम को एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया।
असद और गुलाम के एनकाउंटर की चर्चा उत्तर प्रदेश में हो रही थी, कि तभी कम उम्र के तीन शूटरों ने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को प्रयागराज के काल्विन हास्पिटल में गोली मार दी। मीडिया कर्मी की तरह दिख रहे शूटरों ने अपना काम करने के बाद वहां सरेंडर भी कर दिया। अतीक अहमद की मौत की खबर प्रयागराज से लखनऊ तक पहुंची तो हड़कम्प मच गया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तत्काल ही प्रदेश के कानून व्यवस्था से जुड़े तमाम अधिकारियों को बुलाकर बैठक की।
अतीक गैंग के कुछ और शूटर एनकाउंटर में ढेर हुए लेकिन सबसे खतरनाक माना गया गुड्डू मुस्लिम उर्फ बमबाज गुड्डू पकड़ में नहीं आया। गुड्डू मुस्लिम की तलाश में उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स के टीमें लगी हुई हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के माफिया विरोधी अभियान में मुख्तार अंसारी का नाम सबसे ऊपर आता है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में माफिया मुख्तार अंसारी का नाम मऊ, घोसी और गाजीपुर के चुनावों में आता ही है। आगामी लोकसभा चुनाव 2024 से पहले मुख्तार पर प्रहार कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ संदेश दिया है। बावजूद अभी भी मऊ, घोसी और गाजीपुर में मुख्तार अंसारी और उसके गैंग के लोगों की राजनीतिक पकड़ बरकरार है।
गाजीपुर लोकसभा सीट से सांसद अफजाल अंसारी को गैंगस्टर मामले में चार वर्षों की सजा होने के बाद सुप्रीम कोर्ट से अफजाल को राहत मिल गयी है। अफजाल अंसारी की चली गयी संसद सदस्यता फिर से बहाल हो गयी है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने अफजाल अंसारी के संसद सदस्यता पर फैसला सुनाते हुए अंतरिम रोक लगा दी है।
चुनाव लड़ने पर रोक लगने के बाद से माफिया मुख्तार अंसारी पर सीसीटीवी कैमरों की मदद से लखनऊ स्थित जेल मुख्यालय में दिन-रात नजर रखी जा रही है। मुख्तार अंसारी का नाम जिन बड़े मुकदमों में आता रहा है, उनमें ज्यादातर में उसे सजा हो चुकी है। यहां तक वाराणसी में अवधेश सिंह हत्या मामले में भी अब मुख्तार अंसारी दोषी सिद्ध हुआ है।
मुख्तार अंसारी के आर्थिक साम्राज्य का अंत करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने उसकी बेनामी सम्पत्तियों की जांच करायी है। जिसमें अवैध बिल्डिंगों पर बुलडोजर चला कर प्रदेश में माफिया विरोधी संदेश भी दिया गया है। मुख्तार से जुड़े बिल्डरों की अवैध रुप से बनायी गयी सम्पत्तियों की जांच कर उसके विरुद्ध भी कार्रवाई हो रही हैं। इसके अलावा स्पेशल टास्क फोर्स के निशाने पर माफिया मुख्तार अंसारी के शूटर हैं और जिनकी सूचनाओं पर फोर्स कार्रवाईयां कर रही है।
माना जा रहा है कि वर्ष 2024 में जहां एक ओर लोकसभा चुनाव है तो दूसरी ओर माफिया मुख्तार अंसारी पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के एक्शन और भी तेज होंगे। मुख्तार अंसारी के परिवार के सदस्यों के चुनाव लड़ने की पूरी सम्भावनाएं जतायी जा रही हैं। ऐसे में वर्ष 2024 में माफिया विरोधी अभियान के सामने दोगुनी चुनौती रहेगी।