मठों की माया, मौतों का साया, महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत से ताजा हुआ रक्तरंजित इतिहास
मठों की माया, मौतों का साया, महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत से ताजा हुआ रक्तरंजित इतिहास
21 सितंबर। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इसी के साथ इस मौत ने रक्तरंजित इतिहास ताजा कर दिया। मठों, अखाड़ों और संतों की अकूत संपदा की वजह से हुआ रक्तपात नया नहीं है। कई संतों को संपत्ति की वजह से जान गंवानी पड़ी। कुछ संत आज तक लापता हैं।
हरिद्वार में दर्जनों संत अपने जीवन से हाथ धो चुके हैं। यही नहीं हरिद्वार समेत देश की कई अदालतों में संतों के संपत्ति विवाद विचाराधीन हैं। इस सबका कारण संतों का अखाड़ों की जमीन पर रियल एस्टेट, प्रापर्टी डीलिंग, दलाली और ट्रैवल्स एजेंसी का कारोबार शुरू करना भी है। अब तक हरिद्वार में करीब दो दर्जन संतों की हत्या की जा चुकी है। एक-दो मामलों को छोड़कर बाकी में आरोपित गिरफ्त से बाहर हैं।
किसी को गोली मारी, किसी को वाहन से रौंदाः
25 अक्टूबर 1991 को रामायण सत्संग भवन के संत राघवाचार्य को स्कूटर सवार लोगों ने गोली मारने के बाद चाकू से गोद कर उनकी हत्या कर दी थी।
9 दिसम्बर 1993 को रामायण सत्संग भवन के ही संत राघवाचार्य आश्रम के साथी रंगाचार्य की ज्वालापुर में हत्या कर दी गई थी।
1 फरवरी 2000 को सुखी नदी स्थित मोक्षधाम ट्रस्ट के सदस्य गिरीश चंद को एक जीप ने टक्कर मार दी थी, जिसमें उनके साथी रमेश मारे गए थे।
5 अप्रैल 2001 को बाबा सुतेन्द्र बंगाली की हत्या की गई।
6 जून 2001 को हचमगादड़ टापू में बाबा विष्णुगिरि समेत चार साधुओं की हत्या की गई।
26 जून 2001 को बाबा ब्रह्मानंद की हत्या की गई। पानप देव कुटिया के बाबा ब्रह्मदास को दिनदहाड़े गोली से उड़ा दिया गया।
17 अगस्त 2002 बाबा हरियानंद और उनके शिष्य की हत्या की गई। संत नरेन्द्र दास को भी इसी वर्ष मौत के घाट उतार दिया गया।
6 अगस्त 2003 को संगमपुरी कोठी नंबर 14 में रहने वाले संत प्रेमानंद उर्फ भोले बाबा गायब हो गए।
7 सितंबर 2003 को उनकी हत्या का खुलासा हुआ जिसमें आरोपित गोपाल शर्मा पकड़ा गया।
28 दिसम्बर 2004 को संत योगानंद की हत्या के आरोपितों का आज तक पता नहीं चला है।
15 मई 2006 को पीली कोठी के स्वामी अमृतानंद की हत्या कर दी गई।
इस साल 25 नवंबर को इंडिया टैम्पल के बाल स्वामी की गोलियों से भून दिया गया। तीन आरोपित गिरफ्तार किए गए।
8 फरवरी 2008 को निरंजनी अखाड़े के 7 साधुओं को जहर दिया गया। इसमें कई संत नरेन्द्र गिरि के गुरु भाई थे। इनमें से एक अम्बिका पुरी का हाल ही के दिनों में निधन हो गया।
14 अप्रैल 2012 निर्वाणी अखाड़े के महंत सुधीर गिरि की हत्या कर दी गई।
26 जून 2012 को लक्सर में हनुमान मंदिर में देर रात तीन संतों को मौत के घाट उतार दिया गया। यह सभी मामले संपत्ति विवाद से जुड़े हैं।
इसके साथ ही कनखल स्थित श्री पंचायती अखाड़ा उदासीन बड़ा के कोठरी महंत मोहन दास रेल में सफर करते हुए गायब हो गए। उन्हें जमीन निगल गई या आसमान खा गया, इसका जवाब किसी के पास नहीं है।